अब मछली के प्रोटीन से फिर धड़केगा दिल जोकि हार्ट के मरीजों के लिए वरदान साबित होगी। नीदरलैंड्स के वैज्ञानिकों को दिल की बीमारियों के इलाज में एक अहम सफलता मिली है। शोधकर्ताओं ने हार्ट की मरम्मत के लिए एक नई तकनीक का विकास किया है जो भविष्य में दिल की बीमारियों से जूझ रहे लाखों लोगों के लिए वरदान साबित हो सकती है।
क्या है यह खोज?
इस खोज में प्रमुख भूमिका निभाने वाले वैज्ञानिकों ने जेब्राफिश में पाए जाने वाले प्रोटीन एचएमजीए-1 की मदद से दिल की मरम्मत करने का तरीका ढूंढ निकाला है। इस प्रोटीन की मदद से दिल में निष्क्रिय पड़े जीन को सक्रिय किया जा सकता है जिससे दिल की कार्यक्षमता को फिर से बहाल किया जा सकता है।
नेचर कार्डियोवैस्कुलर रिसर्च में प्रकाशित इस शोध के अनुसार हुब्रेक्ट इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने यह प्रोटीन खोजा। इसका परीक्षण चूहों पर किया गया और परिणाम अत्यंत सकारात्मक रहे। वैज्ञानिकों ने देखा कि एचएमजीए-1 प्रोटीन ने चूहों के दिल में निष्क्रिय पड़े जीन को सक्रिय किया जिससे दिल की मरम्मत शुरू हो गई।
कैसे काम करता है यह प्रोटीन?
वैज्ञानिकों ने बताया कि यह प्रोटीन चूहों में दिल की मांसपेशी कोशिकाओं को फिर से सक्रिय करता है जो दिल के दौरे या अन्य कारणों से कमजोर हो जाती हैं। इससे दिल की क्षमता पहले जैसी हो जाती है और वह सामान्य रूप से रक्त पंप करने में सक्षम होता है।
जेब्राफिश की भूमिका
यह शोध इस तथ्य पर आधारित था कि जेब्राफिश अपनी चोटों के बाद अपने दिल की मरम्मत करने में सक्षम होते हैं। वैज्ञानिकों ने इस क्षमता को समझते हुए एचएमजीए-1 प्रोटीन को दिल की मरम्मत के लिए एक अहम तत्व के रूप में पहचाना। जेब्राफिश में यह प्रोटीन दिल को पूरी तरह ठीक करने में मदद करता है और अब इसी प्रक्रिया को चूहों पर सफलतापूर्वक लागू किया गया है।
किसे मिलेगा फायदा?
दुनिया भर में लाखों लोग दिल के दौरे से प्रभावित होते हैं और हार्ट की मांसपेशी कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं। इससे हार्ट को रक्त पंप करने में कठिनाई होती है और दिल के कामकाज में कमी आ जाती है। इस खोज से ऐसे मरीजों को राहत मिल सकती है क्योंकि एचएमजीए-1 प्रोटीन की मदद से इन निष्क्रिय कोशिकाओं को फिर से सक्रिय किया जा सकता है जिससे दिल की कार्यक्षमता बेहतर हो सकती है।
बता दें कि यह खोज दिल की बीमारियों के इलाज में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है। जेब्राफिश की तरह अगर इंसानों में भी यह तकनीक सफल होती है तो भविष्य में दिल के मरीजों के लिए यह एक क्रांतिकारी इलाज हो सकता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि आने वाले समय में इस तकनीक से दिल की बीमारियों से जूझ रहे लोगों को बड़ी राहत मिल सकती है।