दुनिया एक बार फिर वैश्विक मंदी की चपेट में आने की कगार पर है। इसका प्रमुख कारण है अमेरिका-चीन के बीच बढ़ता टैरिफ युद्ध और सऊदी अरब द्वारा तेल कीमतों में कटौती का ऐलान, जिससे कच्चे तेल की कीमतों में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई है। ब्रेंट क्रूड चार साल के निचले स्तर पर आ चुका है, जिससे वैश्विक मंदी का खतरा एक बार फिर मंडराने लगा है।
ब्रेंट क्रूड की कीमत 3.5% गिरकर 60.60 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई है, जबकि डब्ल्यूटीआई क्रूड 57.28 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के कमोडिटी हेड अनुज गुप्ता के अनुसार, "अमेरिका-चीन के बीच तेज होता व्यापार युद्ध वैश्विक मांग पर दबाव डाल रहा है। साथ ही सऊदी अरब द्वारा तेल उत्पादन बढ़ाने और कीमतें कम करने की घोषणा ने बाजार में गिरावट को और तेज कर दिया है।" विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यही स्थिति बनी रही तो कच्चा तेल 52 डॉलर प्रति बैरल तक लुढ़क सकता है।
एक रिपोर्ट में बताया गया है कि ओपेक और रूस सहित सहयोगी देशों द्वारा मई में 411,000 बैरल प्रतिदिन उत्पादन बढ़ाने का निर्णय भी कीमतों में गिरावट की एक बड़ी वजह बना है। इससे बाजार में अतिरिक्त आपूर्ति (सरप्लस) की आशंका बढ़ी है।
वहीं, चीनी विश्लेषक लिन ने कहा, "टैरिफ को लेकर चीन की आक्रामक नीति और अमेरिका के कड़े रुख से समझौते की संभावना कमजोर हो गई है, जिससे दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच तनाव और गहराया है। इसका असर पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है।"