नेशनल डेस्क: कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता सैम पित्रोदा के चीन पर दिए गए बयान से एक नया विवाद पैदा हो गया है। पित्रोदा ने हाल ही में एक इंटरव्यू में चीन को लेकर कुछ ऐसी बातें कहीं, जिनसे पार्टी को अलग करना पड़ा। उनके बयान से कांग्रेस ने खुद को किनारे कर लिया और इसे पार्टी का आधिकारिक विचार नहीं माना। इस मामले को लेकर पार्टी के अन्य नेता, खासकर जयराम रमेश, ने स्पष्ट किया कि सैम पित्रोदा का बयान व्यक्तिगत था और पार्टी इससे सहमत नहीं है।
कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने सोमवार (17 फरवरी 2025) को एक बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने साफ किया कि पित्रोदा के विचार पार्टी के विचारों से मेल नहीं खाते। रमेश ने कहा कि चीन हमेशा से भारत के लिए एक बड़ी चुनौती रहा है, चाहे वह विदेश नीति हो, बाहरी सुरक्षा हो या फिर आर्थिक क्षेत्र। कांग्रेस ने मोदी सरकार की चीन नीति पर सवाल उठाए हैं, खासकर जून 2020 में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा चीन को दी गई क्लीन चिट के बाद।
चीन से संबंध सामान्य करने पर सवाल
जयराम रमेश ने आगे कहा कि कांग्रेस ने मोदी सरकार द्वारा चीन के साथ रिश्ते सामान्य करने की घोषणा का संज्ञान लिया है, लेकिन सवाल यह उठता है कि यह निर्णय ऐसे समय में क्यों लिया गया, जब 2024 के डिसइंगेजमेंट समझौते पर अभी भी कई सवाल खड़े हैं। उन्होंने पूछा कि भारत और चीन के बीच वाणिज्यिक और सांस्कृतिक संबंधों को बहाल करने का क्या उद्देश्य है, जबकि लद्दाख में 2,000 वर्ग किलोमीटर का वह क्षेत्र जो 2020 तक भारतीय सेना के नियंत्रण में था, अब तक भारतीय नियंत्रण में क्यों नहीं आया है?
कांग्रेस ने सवाल किया कि लद्दाख के 2,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में, जहां तक 2020 तक भारतीय सैनिक पेट्रोलिंग करते थे, उसे वापस लेने के लिए मोदी सरकार ने क्या कदम उठाए हैं? कांग्रेस ने इसे एक बड़ा मुद्दा बताया है, जिस पर सरकार को पारदर्शी जवाब देना चाहिए।
भारत-चीन सीमा विवाद और यथास्थिति
कांग्रेस ने यह भी पूछा कि मोदी सरकार क्या चीन से अप्रैल 2020 की यथास्थिति बहाल करने में नाकाम रही है। उन्होंने याद दिलाया कि थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा था कि भारत की इच्छा है कि अप्रैल 2020 की स्थिति फिर से बहाल की जाए। विदेश मंत्री ने भी 3 दिसंबर 2024 को संसद में कहा था कि कुछ क्षेत्रों में अस्थायी कदम उठाए गए हैं, ताकि स्थिति को स्थायी रूप से बदला जा सके, जिससे यह संकेत मिलता है कि भारत ने चीन के साथ एक 'बफर जोन' बनाने पर सहमति जताई है।
प्रधानमंत्री मोदी के बयान से चीन को फायदा
कांग्रेस ने यह आरोप भी लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान से चीन को फायदा हुआ है। जयराम रमेश ने कहा कि जब प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, "ना कोई हमारी सीमा में घुस आया है, ना ही कोई घुसा हुआ है," तो इस बयान ने चीन को भारत से बातचीत खींचने का अवसर दिया। इस दौरान, चीन ने अपनी रणनीतिक स्थिति मजबूत की और भारत-चीन व्यापार में भी बढ़ोतरी देखी गई।
आत्मनिर्भर भारत और चीन से आयात
कांग्रेस ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि चीन पर निर्भरता कम करने के बजाय, यह निर्भरता और बढ़ी है। 2018-19 में चीन से 70 बिलियन डॉलर का आयात किया गया था, जबकि 2023-24 में यह बढ़कर 102 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया। मोदी सरकार के 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान के बावजूद चीन से आयात में भारी वृद्धि ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं।