जम्मू : मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को नई दिल्ली के यशोभूमि में एस.ए.टी.टी.ई. (दक्षिण एशिया के यात्रा और पर्यटन एक्सचेंज) के उद्घाटन समारोह को संबोधित किया। उन्होंने लोगों से जम्मू-कश्मीर घूमने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में हर किसी के लिए कुछ न कुछ है और यह साल भर घूमने के लिए एक बेहतरीन जगह है। चाहे आप तीर्थयात्रा या धार्मिक पर्यटन की तलाश में हों, चाहे आप शादी या सगाई के लिए गंतव्य की तलाश में हों, चाहे आप केवल इंस्टाग्राम या टिकटॉक इन्फ्लुएंसर बनना चाहते हों, या आप साहसिक पर्यटन के लिए यात्रा करना चाहते हों, या बस एक किताब के साथ बैठकर सुंदर और प्राकृतिक परिवेश का आनंद लेना चाहते हों, जम्मू-कश्मीर में आपके लिए सब कुछ है।
उमर ने जम्मू-कश्मीर की समृद्ध और विविध स्थलों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गुलमर्ग और पहलगाम जैसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल एवं माता वैष्णो देवी और अमरनाथ तीर्थस्थलों की धार्मिक तीर्थयात्रा अविस्मरणीय है।
धरती में स्वर्ग यहीं है
जम्मू और कश्मीर एस.ए.टी.टी.ई. 2025 में भाग ले रहा है, जिसमें जम्मू और कश्मीर के लुभावने परिदृश्य, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और गर्मजोशी भरे आतिथ्य का प्रदर्शन किया जाएगा। इस वर्ष के एस.ए.टी.टी.ई. कार्यक्रम में 2,000 से अधिक प्रदर्शक भाग लेंगे और दुनिया भर से 40,000 से अधिक आगंतुकों के आने की उम्मीद है। यह राष्ट्रीय और राज्य पर्यटन बोर्डों के साथ-साथ यात्रा, पर्यटन और आतिथ्य उद्योगों से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय खरीदारों और पेशेवरों के लिए एक व्यापक मंच प्रदान करता है।
कवि अमीर खुसरो द्वारा कश्मीर में प्रसिद्ध फारसी दोहे की पृष्ठभूमि के बारे में बात करते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा कि यह 13वीं-14वीं शताब्दी से लाल किले में अंकित है, जो मूल रूप से कह रहा है कि अगर धरती पर कहीं स्वर्ग है, तो वह यहीं है, यहीं है, यहीं है। भारत में कोई भी हनीमून तब तक हनीमून नहीं माना जाता जब तक कि उसकी योजना डल झील के हाऊसबोट में न बनाई जाए। भारत में कोई भी फिल्म तब तक पूरी नहीं मानी जाती जब तक कि उसमें हमारे सरसों के खेतों या बर्फ से ढके पहाड़ों का कम से कम एक दृश्य न हो और कोई भी छुट्टी तब तक छुट्टी नहीं मानी जाती जब तक कि वह जम्मू-कश्मीर में सुखद पल न बिताए।
30-35 साल मुश्किल भरे रहे
पिछले तीन दशकों में जम्मू-कश्मीर के सामने आई चुनौतियों पर बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह क्षेत्र मुश्किल दौर से उभर रहा है। 30-35 साल का बहुत मुश्किल समय जिससे अब जम्मू-कश्मीर उभर रहा है। उन्होंने घरेलू पर्यटन के पुनरुद्धार पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि जम्मू-कश्मीर एक बार फिर घरेलू पर्यटन के लिए भारत के प्रमुख स्थलों में से एक है। विभिन्न दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों द्वारा जारी यात्रा सलाह के साथ उन्हें जो कठिनाइयां होती हैं, उसके बावजूद अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन बढ़ रहा है। क्षेत्र की निवेश संभावनाओं पर बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर आज पर्यटन उद्योग से जुड़े किसी भी और हर क्षेत्र में निवेश के लिए एक उपयुक्त गंतव्य है और उनके लिए एस.ए.टी.टी.ई. में वापस आना खुशी की बात है।
व्यंजनों में गुश्ताबा और रिस्ता लोकप्रिय
जम्मू-कश्मीर में नए और उभरते पर्यटन स्थलों के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि पहलगाम या गुलमर्ग से बहुत ही सुन्दर हैं। इसी तरह जब आप कश्मीरी वाजवान भोजन के बारे में बात करते हैं, तो आप पाक व्यंजनों गुश्ताबा और रिस्ता के बारे में बात करते हैं, और ये दो चीजें हैं जिनके बारे में सभी ने सुना है और ये लोगप्रिय हैं। जब वह जम्मू और कश्मीर में पर्यटन की बात करते हैं, तो तुरंत पहलगाम और गुलमर्ग जैसे गंतव्यों का नाम दिमाग में आता है। लेकिन जम्मू और कश्मीर इससे कहीं बढ़कर है। उन्होंने जम्मू के हेरिटेज पर्यटन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हेरिटेज पर्यटन के लिए, जम्मू मंदिरों का शहर है, जो रघुनाथ मंदिर से शुरू होकर आगे तक जाता है।
गुरेज भी पर्यटन क्षेत्रों में शुमार
जम्मू में सीमा पर्यटन के मामले में बहुत कुछ है, जिसे अक्सर पेश नहीं किया जाता है। मुख्यमंत्री ने नए पर्यटन स्थलों जैसे कि सोनमर्ग को साल भर के गंतव्य के रूप में विकसित करने पर जोर दिया, जिसका श्रेय हाल ही में शुरू की गई सुरंग को जाता है। गुरेज, जिसके बारे में कभी नहीं सुना गया था, लेकिन अब यह सबसे तेजी से बढ़ते पर्यटन क्षेत्रों में से एक है। तंगधार, माछिल, करनाह और केरन में सीमा पर्यटन, बढ़ते पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है। बंगस और दूधपथरी जैसे घास के मैदान, जम्मू और कश्मीर में लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं। जम्मू और कश्मीर साहसिक पर्यटन, नदियों पर राफ्टिंग, पहाड़ों पर स्कीइंग, डल झील या मानसर पर वॉटर स्कीइंग का अनुभव पर्यटकों के लिए स्वर्गीय है।