नई दिल्ली/श्रीनगर : मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा कि तीन नए आपराधिक कानूनों को लागू करना जम्मू-कश्मीर की निर्वाचित सरकार का जनादेश नहीं है, लेकिन उनके नेतृत्व वाली सरकार को इन प्रावधानों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए और अधिक काम करने की आवश्यकता है।
नए आपराधिक कानूनों के लागू करने की समीक्षा के लिए गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बुलाई गई बैठक में भाग लेने के बाद यहां पत्रकारों से बात करते हुए उमर ने कहा कि जहां तक निर्वाचित सरकार का सवाल है। इन कानूनों को लागू करना उनकी जिम्मेदारी नहीं है। चूंकि ये नए कानून हैं, इसलिए लोगों को इनके बारे में पता होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए निर्वाचित सरकार को और अधिक काम करने की जरूरत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर ने इसे लागू करने में बेहतर काम किया है, लेकिन कुछ कमजोर क्षेत्र हैं, जिन्हें ठीक करने की जरूरत है। उमर ने कहा कि आज की बैठक में जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति पर कोई चर्चा नहीं हुई। उमर ने कहा कि उन्होंने संसद परिसर में गृहमंत्री अमित शाह के साथ अपनी हालिया बैठक के दौरान जम्मू-कश्मीर से संबंधित सुरक्षा मामलों पर चर्चा की थी।
उमर ने केंद्र शासित प्रदेश से संबंधित सुरक्षा समीक्षा से खुद को बाहर रखे जाने पर टिप्पणी करने में असमर्थता जताई। उन्होंने कहा कि इस बैठक और उन बैठकों में अंतर है। यह बैठक नए कानूनों और उनके लागू करने के बारे में थी। अगर लोगों द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों को सुरक्षा मुद्दों से बाहर रखने का फैसला किया गया है, तो वह और क्या कह सकते हैं?
मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर विपक्ष के नेता राहुल गांधी की प्रतिक्रिया पर उमर ने कहा कि विपक्ष के नेता को इलेक्शन मीटिंग में असहमति जताने का अधिकार है। विपक्ष को हमेशा सरकार से सहमत होने की जरूरत नहीं है। यह मामला (मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए इलैक्शन कमेटी के गठन से संबंधित) सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है।
जम्मू-कश्मीर में नए आपराधिक कानूनों के लागू करने की समीक्षा के लिए केंद्रीय गृहमंत्री की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और केंद्र तथा जम्मू-कश्मीर सरकार के शीर्ष अधिकारी भी शामिल थे।