देखो मेरा भारत बदल रहा है, कुछ तुम बदलो कुछ हम बदलें, धीरे धीरे ही सही हम सब का नजरिया बदल रहा है, यह नया भारत है जो सबको साथ लेकर चल रहा है। इस बदलाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन का अहम योगदान है। इको-फ्रेंडली विकास यानी हरित विकास समय की जरूरत है। स्वस्थ समाज और स्वच्छ वातावरण के लिए हरित विकास आवश्यक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हरित विकास (Green Growth) और डिजिटल इंडिया के विजन ने टैक्सीबोट (TaxiBot) जैसी सस्टेनेबल तकनीकों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके नेतृत्व में भारत ने पर्यावरण अनुकूल बुनियादी ढांचे और स्मार्ट ट्रांसपोर्ट सिस्टम पर जोर दिया है, जिसका टैक्सीबोट (TaxiBot) जैसी पहलों में सीधा योगदान है।
दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट (IGI) ने टैक्सीबोट तकनीक का उपयोग करके विमानन क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। टैक्सीबोट के संचालन का ईंधन की बचत और कार्बन उत्सर्जन कमी में महत्वपूर्ण योगदान है।
विश्व का पहला एयरपोर्ट बनने का गौरव
दिल्ली एयरपोर्ट 1000 टैक्सीबोट ऑपरेशन पूरा करने वाला दुनिया का पहला हवाई अड्डा बन गया है। इस तकनीक को 2019 में पहली बार शुरू किया गया था, जिसके बाद से यह विमानों को पार्किंग बे से रनवे तक ले जाने में किफायती नतीजे दे रही है।
टैक्सीबोट क्या है और कैसे काम करता है?
यह एक सेमी-रोबोटिक एयरक्राफ्ट ट्रैक्टर है, जो विमान को पार्किंग स्थल से रनवे तक ले जाता है। इस दौरान विमान का इंजन बंद रहता है, जिससे ईंधन की बचत होती है और कार्बन उत्सर्जन कम होता है। इस तरह जब विमान रनवे पर पहुंचता है, तभी इंजन चालू किया जाता है, जिससे टेकऑफ के समय ईंधन का उपयोग कम होता है। इस तकनीक से ध्वनि प्रदूषण भी घटता है
पर्यावरण सुरक्षा और आर्थिक लाभ
इस तकनीक से अब तक करीब 2.14 लाख लीटर से अधिक एविएशन फ्यूल की बचत और 532 टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है। एयर इंडिया इस तकनीक का उपयोग करने वाली दुनिया की पहली एयरलाइन बनी, जिसने एयरबस A320 विमान के साथ इसका सफल परीक्षण किया।
उज्जवल भविष्य की उम्मीद
वर्तमान में, भारत में 3 टैक्सीबोट परिचालन में हैं, जिनमें से दो दिल्ली में और एक बेंगलुरु में संचालित हैं, और भविष्य में 40 टैक्सीबोट देश के विभिन्न हवाई अड्डों पर चालू होने की उम्मीद है।
एयरलाइंस
एयरएशिया इंडिया, एयर इंडिया एक्सप्रेस, स्पाइसजेट, ब्लूडार्ट और अमेजन प्राइम एयर पहले ही देश में टैक्सीबोट परिचालन में आ चुके हैं। वर्ष 2030 तक दिल्ली एयरपोर्ट को जीरो कार्बन उत्सर्जन वाला क्षेत्र बनाने की योजना भी है। दिल्ली एयरपोर्ट ने हाल ही में देश का पहला एलिवेटेड टैक्सी-वे भी शुरू किया है, जो विमानों की टैक्सिंग दूरी को 9 किमी से घटाकर 2.1 किमी कर देता है। इससे भी ईंधन बचेगा और प्रदूषण कम होगा। यह पहल न केवल पर्यावरण संरक्षण में मददगार है, बल्कि यात्रियों के लिए समय और संसाधनों की बचत का भी स्रोत बन गई है।
मोदी सरकार का विजन
नेशनल सिविल एविएशन पॉलिसी (NCAP 2016): इस पॉलिसी के तहत ईंधन दक्षता और कार्बन फुटप्रिंट कम करने पर फोकस किया गया, जिससे टैक्सीबोट जैसी तकनीकों को प्रोत्साहन मिला।
ग्रीन एयरपोर्ट्स मिशन
भारत सरकार ने “ग्रीन एयरपोर्ट” की पहल की, जिसमें दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे प्रमुख हवाई अड्डों को ऊर्जा-कुशल बनाने के लिए नवीन तकनीकें अपनाई गईं। टैक्सीबोट इसी मिशन का हिस्सा है, जो जीरो-एमिशन ग्राउंड ऑपरेशन को सक्षम बनाता है।
मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत
टैक्सीबोट को भारतीय कंपनी TLD India (एक फ्रांसीसी-भारतीय ज्वॉइंट वेंचर) द्वारा विकसित किया गया है, जो मेक इन इंडिया को सपोर्ट करता है। इससे देश में रोजगार सृजन और तकनीकी स्वदेशीकरण को बढ़ावा मिला।
COP26 (संयुक्त राष्ट्र की जलवायु सम्बन्धी बैठक) की प्रतिबद्धताएं
पीएम मोदी ने 2070 तक नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है। टैक्सीबोट जैसी तकनीकें इस लक्ष्य को पूरा करने में मदद करती हैं, क्योंकि यह प्रति वर्ष हजारों टन CO₂ उत्सर्जन कम करती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सीधा समर्थन
वर्ष 2019 में, दिल्ली एयरपोर्ट पर टैक्सीबोट की शुरुआत को सरकारी प्रोत्साहन मिला, जिसे उस समय इसे केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने लॉन्च किया था। पीएम मोदी ने कई मंचों पर लगातार हरित ऊर्जा और सस्टेनेबल एविएशन पर जोर देते रहे है, जिससे ऐसी परियोजनाओं को गति मिली। इस तरह टैक्सीबोट की सफलता मोदी सरकार के सस्टेनेबल डेवलपमेंट और टेक-ड्रिवन इनोवेशन के विजन का प्रत्यक्ष उदाहरण है। इससे न केवल ईंधन बचत हो रही है, बल्कि भारत ग्लोबल एविएशन सेक्टर में एक ग्रीन लीडर के रूप में उभर रहा है।
भारत के दिल्ली हवाई अड्डे (IGI एयरपोर्ट) पर टैक्सीबोट सुविधा लागू करने से प्रत्येक फ्लाइट पर 213 लीटर एविएशन ईंधन (ATF) की बचत हो रही है। यह एक महत्वपूर्ण पहल है, जिससे न केवल ईंधन की खपत कम हो रही है, बल्कि कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आई है।
टैक्सीबोट का लाभ
-ईंधन बचत:-प्रति फ्लाइट 213 लीटर ईंधन की बचत।
-पर्यावरण सुरक्षा : कार्बन उत्सर्जन में 500 किलोग्राम CO₂ प्रति फ्लाइट की कमी। लागत प्रभावी : एयरलाइंस के लिए ईंधन खर्च में कमी। रनवे क्षमता बढ़ाना : विमानों की तेजी से पार्किंग, जिससे यातायात प्रबंधन सुधरता है। यह तकनीक भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) और दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (DIAL) द्वारा अपनाई गई है, जो भारत को हरित एविएशन की दिशा में आगे बढ़ा रही है। इसी लिए प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी कहते हैं आगे बढ़ना है तो नजरिया बदलो।
अंत में मशहूर शायर निदा फाजली का एक शेर याद आ रहा है-
“मुमकिन है सफर हो आसाँ अब साथ भी चल कर देखें, कुछ तुम भी बदल कर देखो कुछ हम भी बदल कर देखें”