शिमला : राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी हिमाचल प्रदेश में जनजातीय क्षेत्रों में लोगों को नौतोड़ भूमि आबंटन मामले को लेकर वीरवार को छठी बार राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल से मिले। इससे पहले वह इस मामले में 5 बार राज्यपाल से मिल चुके हैं। उन्होंने राज्यपाल से लोगों को नौतोड़ भूमि प्रदान करने के लिए वन संरक्षण अधिनियम 1980 को जनजातीय क्षेत्रों से हटाने का आग्रह किया तथा उन्हें एक ज्ञापन भी सौंपा। राज्य सरकार ने सत्ता में आते ही वर्ष 2023 में नौतोड़ भूमि प्रदान करने के लिए राज्यपाल से वन संरक्षण अधिनियम 1980 को जनजातीय क्षेत्रों से हटाने का आग्रह किया था, लेकिन अभी तक राज्यपाल ने इसकी अनुमति नहीं दी है। राज्यपाल ने कुछ स्पष्टीकरण मांगा था। इसके तहत राज्यपाल जानना चाहते थे कि वर्तमान में जनजातीय क्षेत्रों में नौतोड़ के कितने मामले लंबित हैं। इसके आबंटन की प्रक्रिया क्या होगी। राजस्व विभाग ने राज्यपाल द्वारा मांगी गई सूचना का जवाब भेज दिया है, ऐसे में नेगी ने वीरवार को राजभवन जाकर राज्यपाल से फिर से भेंट कर जनजातीय क्षेत्रों से वन संरक्षण अधिनियम को हटाने का आग्रह किया, ताकि जनजातीय क्षेत्र के पात्र लाभार्थियों को नौतोड़ भूमि प्रदान की जा सके।
राज्यपाल के पास हैं शक्तियां
बता दें कि नौतोड़ जमीन आबंटन के लिए एफसीए में छूट देने की तमाम शक्तियां राज्यपाल के पास हैं। नियमों के तहत जनजातीय क्षेत्रों में 20 बीघा से कम भूमि वाले किसान अथवा अन्य परिवार नौतोड़ जमीन लेने के पात्र हैं। वर्ष 1968 में यह नियम बनाया गया था। बाद में जब वर्ष 1980 में फोरैस्ट कंजर्वेशन एक्ट लागू हुआ तो इसमें बदलाव हुए और गैर-जनजातीय क्षेत्र के लिए प्रावधान बंद हो गया। अब भी यह प्रावधान जनजातीय क्षेत्र के लिए लागू है तथा राज्यपाल को संविधान के अनुच्छेद 5 के तहत इसमें संशोधन करने तथा इसे हटाने की शक्ति है। याद रहे कि कुछ समय पूर्व इस मामले पर राजभवन व राजस्व मंत्री आमने-सामने भी हो गए थे।
जल्द फैसला होने की उम्मीद
जगत सिंह नेगी ने कहा कि उन्होंने सरकार का पक्ष एक बार फिर से राज्यपाल के समक्ष रखा है। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि राज्यपाल इस पर जल्द ही फैसला करेंगे तथा जनजातीय क्षेत्र के लोगों को नौतोड़ की भूमि मिलेगी। उन्होंने कहा कि राज्य के जनजातीय क्षेत्रों में नौतोड़ की भूमि के लिए 20 हजार से अधिक आवेदन लंबित हैं।
पूर्व सरकार ने नहीं दिखाई गंभीरता
जगत सिंह नेगी ने कहा कि इससे पहले एक्ट को 2014 से 2016 तथा 2016 से 2018 तक सस्पैंड किया था। इसके बाद भी एक बार इस कानून को सस्पैंड किया था। जब सस्पैंड किया तो बहुत से लोगों को इसका फायदा हुआ। इसके बाद वर्ष 2018 तथा 2020 में भी जनजातीय क्षेत्रों में लोगों को नौतोड़ की भूमि देने के लिए वन संरक्षण अधिनियम, 1980 को हटाया गया था, लेकिन तत्कालीन सरकार व अधिकारियों ने नौतोड़ देने की प्रक्रिया में गंभीरता नहीं दिखाई। इस कारण इसका लाभ लोगों को नहीं मिला। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के समय 500 लोगों को नौतोड़ भूमि दी गई तथा 6 हजार से अधिक मामलों में संयुक्त निरीक्षण किया गया था। अकेले किन्नौर में 56 मामले स्वीकृत हुए थे। भूमि देने से सीमावर्ती क्षेत्रों में बेरोजगारी हटेगी तथा पलायन भी रुकेगा।
लोगों का ध्यान भटकाने का प्रयास करती है केंद्र सरकार
जगत सिंह नेगी ने पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र में पिछले 11 वर्षों से मोदी की सरकार है, लेकिन वह कांग्रेस नेताओं पर चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाई। लेकिन आजकल उन्हें कुर्सी का खतरा बना हुआ है। देश में कई ज्वलंत मुद्दे सामने आ रहे हैं। यूएसए ने टैरिफ लगाकर भारत की अर्थव्यवस्था को ध्वस्त करने का प्रयास किया है। बेरोजगारी चरम पर है। ऐसी परिस्थिति में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व पर लांछन लगाकर लोगों का भटकाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि हिमाचल को 2023 में आई त्रासदी से निपटने में उनका क्या योगदान रहा। केंद्र ने उत्तराखंड व बिहार को तो बजट में बजट देने का प्रावधान किया, लेकिन हिमाचल को एक पैसा नहीं दिया। पूर्व की डबल इंजन की सरकार हिमाचल पर 75 हजार करोड़ का कर्जा छोड़ कर गई है।