शिमला: हिमाचल के सरकारी स्कूलों की लाइब्रेरी को वाइब्रेंट बनाने के लिए राज्य सरकार ने नई गाइडलाइन जारी की है। इसका मकसद बच्चों में पढऩे की आदत डालना है। इस प्रक्रिया में यदि लाइब्रेरी की किताब गुम हो या फट जाए, तो भी किसी पर कार्रवाई नहीं होगी। यह गाइडलाइन शिक्षा सचिव राकेश कंवर की ओर से जारी की गई है। इसमें कहा गया है कि सरकारी स्कूलों में ऐसी लाइब्रेरी का कोई लाभ नहीं, जिसमें किताबें हैं, लेकिन पढऩे वाले नहीं। ऐसा होने के कई कारण शिक्षा विभाग के सामने आए हैं। इनमें किताब गुम होने या किताब फट जाने पर लाइब्रेरियन की जिम्मेदारी होना और ट्रांसफर होने पर अगले व्यक्ति द्वारा किताबों की कमी पर इसका चार्ज न लेने जैसी प्रक्रिया शामिल है। नई गाइडलाइन में कहा गया है कि हर सरकारी स्कूल में लाइब्रेरी मेंडेटरी होगी। इस लाइब्रेरी को संभालने के लिए इंचार्ज टीचिंग और नॉन टीचिंग से कोई भी स्टाफ का सदस्य हो सकता है।
यदि एसएमसी का कोई सदस्य इसके लिए रुचि रखता है, तो उसे भी इंचार्ज बनाया जा सकता है। स्कूल प्रबंधन समिति चाहे तो गांव के रिटायर टीचर या कम्युनिटी के किसी मेंबर को भी यह जिम्मेदारी दे सकती है। यदि बच्चों के पढऩे के दौरान कोई किताब मिस्प्लेस हो जाती है, गुम हो जाती है या फट भी जाती है, तो चिंता की बात नहीं है। यदि स्कूल चाहे तो मिसयूज रोकने के लिए छात्रों पर किसी भी तरह का फाइन लगा सकता है। गाइडलाइन कहती है कि कैलेंडर ईयर के बाद दिसंबर में लाइब्रेरी संभाल रहा इंचार्ज सिर्फ एक सर्टिफिकेट जारी करेगा, जो बुक स्टॉक रजिस्टर में लगेगा। इसमें यदि कोई किताब मिसिंग है या खराब हो गई है, तो उसकी जिम्मेदारी नहीं होगी। यह सर्टिफिकेट ही ऑडिट के लिए भी काफी होगा। इंस्पेक्शन के दौरान भी इस सर्टिफिकेट पर क्वेरी नहीं होगी। जो स्कूल गाइडलाइन के मुताबिक लाइब्रेरी को एक्टिव करेगा, उसे शिक्षा विभाग अवार्ड देगा।
पुस्तकालयों के लिए किताबों की खरीद ऐसे नहीं होगी
स्कूल की लाइब्रेरी में और किताबें जोडऩे के लिए स्कूल प्रबंधन समिति को अपने गांव या शहर को भरोसे में लेना है। लाइब्रेरी की खरीद के लिए टेंडर की तरह एल-1 से प्रक्रिया नहीं होगी। इसके लिए राजा राम मोहन राय लाइब्रेरी फाउंडेशन की प्रक्रिया को अपनाया जाए। ऑनलाइन खरीद में अच्छा डिस्काउंट मिल जाता है। इस बारे में समग्र शिक्षा अभियान भी अलग से मैकेनिज्म तैयार करेगा।
कई प्रतियोगिताएं होंगी
गाइडलाइन के अनुसार स्कूल इन किताबों को अच्छी तरह से डिस्प्ले करेंगे और इन्हें हर बच्चे के लिए उपलब्ध करवाएंगे। इसके लिए लाइब्रेरी के एक्टिव बुक क्लब भी बनाए जा सकते हैं। इसके तहत स्कूलों में रीडिंग डे, राइटिंग डे, स्पीकिंग डे, क्वीज कंपटीशन जैसी प्रतियोगिताएं करवाई जा सकती हैं।