शिमला : पिछले 10 साल से चीन सीमा वाले किन्नौर जिला में भारतीय सेना का आयुद्ध डिपो (गोला-बारूद भंडार) बनाने के लिए फंसा मामला जल्द ही सुलझ सकता है। लिपा के प्रस्तावित स्थल के लिए सहमति न बन पाने के कारण सरकार ने अब मूलिंग का प्रस्ताव किया है। अब सेना के हाई कोर्ट जाने के बाद राज्य सरकार पर दबाव है और प्रस्तावित स्थल को लिपा से बदलकर मूलिंग के लिए किया जा रहा है, लेकिन अभी तक मामला हल नहीं हो पाया है। इसकी सबसे बड़ी वजह बना है फॉरेस्ट राइट्स एक्ट, जिसके बहाने स्थानीय ग्रामसभा एनओसी नहीं दे रही है। अब डीसी-एसपी कान्फ्रेंस में मामला उठने के बाद मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना इस बारे में खुद बैठक करेंगे। दरअसल, हिमाचल सरकार किन्नौर जिला में 450 मेगावाट का शौंगटोंग प्रोजेक्ट बना रही है। इसे पावर कारपोरेशन को दिया गया है। इसकी एक सिल्ट फ्लश टनल आर्मी के पहले से मौजूद डिपो के नजदीक है। यह डिपो रिकांगपिओ के पास है और कुल छह हेक्टेयर भूमि में स्थित है। भारतीय सेना को वक्र्स ऑफ डिफेंस एक्ट (वोडा) 1903 के तहत आयुध डिपो को लेकर कुछ अधिकार प्राप्त हैं। इसी एक्ट के तहत एम्युनिशन डिपो के 1000 यार्ड के अंदर कोई दूसरा काम नहीं हो सकता।
इसीलिए सेना ने हिमाचल हाई कोर्ट में याचिका दायर कर बिजली प्रोजेक्ट की इस टनल के काम को रोक दिया है। इसीलिए राज्य सरकार पर वैकल्पिक स्थान पर जमीन उपलब्ध करवाने के लिए दबाव है। किन्नौर जिला प्रशासन की मदद से लिपा में 46 हेक्टेयर जमीन सुझाई गई थी, लेकिन स्थानीय ग्राम सभा ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। फॉरेस्ट राइट्स एक्ट के तहत अनुमति मिलने तक एफसीए का केस भी नहीं अप्रूव करवाया जा सकता। स्थानीय प्रशासन द्वारा लोगों को मनाने की कोशिशें विफल हो गई हैं, इसलिए अब किन्नौर जिला प्रशासन ने भावा वैली के मुलिंग में नया स्थान चिन्हित किया है। इस क्षेत्र में पांच पंचायतें पड़ती हैं और प्रारंभिक तौर पर ग्राम पंचायतें प्रस्ताव से सहमत हैं। अब यहां भी एफआरए की प्रक्रिया को शुरू किया जा रहा है। हालांकि आर्मी के आग्रह पर लिपा के प्रस्ताव को अभी भी पूरी तरह खारिज नहीं किया गया है, पर मामले को लटकने से बचाने के लिए अगर सेना मूलिंग के लिए तैयार हो जाती है तो प्रदेश के चीन से सटे बॉर्डर एरिया में सेना को गोला-बारूद का अपेक्षित भंडार उपलब्ध हो सकेगा। डीसी -एसपी कॉन्फ्रेंस में किन्नौर के डीसी अमित शर्मा ने इस मामले को फिर से सरकार के सामने रखा। इस पर मुख्य सचिव ने अलग से बैठक करने की बात कही है।
चीन भी एक कारण है एम्युनिशन डिपो का
किन्नौर जिला चीन सीमा के साथ लगता है, इसीलिए भारतीय सेना की डिमांड को और मजबूती मिली है। दरअसल, चीन के साथ भारत के टकराव वाले रिश्तों को देखते हुए भारतीय सेना अब छह हेक्टेयर के बदले 50 हेक्टेयर जमीन चाहती है, ताकि बड़ा आयुध भंडार बनाया जा सके। इसकी एक वजह यह भी है की बॉर्डर के दूसरी तरफ चीन की सेना ने अपना बिल्ड अप बढ़ाया है। इसीलिए भारतीय सेना को भी एम्युनिशन डिपो बड़ा करने की जरूरत दिख रही है।ड्ड3