एआई सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या को अब 16 दिन हो चुके हैं, लेकिन उनके माता-पिता का ग़म अभी भी बरकरार है। न्याय की तलाश में उनके दिल से निकल रही दर्दभरी आवाज़ें हर किसी को झकझोर रही हैं। अतुल के पिता पवन मोदी, जो खुद एक छोटे व्यापारी हैं, आज भी अपने बेटे के बारे में सोचते हुए हर दिन एक नया संघर्ष महसूस कर रहे हैं। उनके दिल में केवल एक ही उम्मीद है – "न्याय मिले, और पोते की कस्टडी हमें दी जाए।"
अतुल की आत्महत्या ने न केवल उसके परिवार को तोड़ दिया, बल्कि पूरे इलाके में उसकी मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। अतुल सुभाष ने अपनी पत्नी और ससुरालवालों पर उत्पीड़न के आरोप लगाते हुए 9 दिसंबर को सुसाइड कर लिया था। इससे पहले उसने एक 24 पन्नों का सुसाइड नोट और 90 मिनट का वीडियो छोड़ा था, जिसमें उसने अपनी पत्नी निकिता, सास निशा, साला अनुराग और चाचा ससुर सुशील सिंघानिया पर मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न के आरोप लगाए थे।
अतुल सुभाष की आत्महत्या
अतुल सुभाष का सुसाइड मामला तब सामने आया जब 9 दिसंबर को उन्होंने अपने सुसाइड नोट और वीडियो के जरिए अपनी दुखद कहानी दुनिया के सामने रखी। उन्होंने यह बताया कि वह मानसिक और भावनात्मक उत्पीड़न का शिकार हो रहे थे। अतुल का आरोप था कि उनकी पत्नी निकिता और उसके परिवार के सदस्य उन्हें प्रताड़ित कर रहे थे। उनका कहना था कि उन पर शराब पीने और अपनी पत्नी को मारने के आरोप लगाए गए, जबकि वह खुद शराब और सिगरेट से दूर रहते थे। अतुल ने सुसाइड करने से पहले अपनी पत्नी, ससुरालवालों और समाज के बारे में कई खुलासे किए थे। उन्होंने यह भी बताया था कि उनका एकमात्र उद्देश्य था कि उनकी मौत के बाद उनके परिवार को न्याय मिले। आत्महत्या से पहले लिखे गए 24 पन्नों के नोट में उन्होंने साफ तौर पर अपनी मौत का कारण बताया और अपने ससुरालवालों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए। अतुल ने अपनी पत्नी से किसी भी प्रकार के दहेज उत्पीड़न से इनकार किया, और कहा कि वह खुद एक सशक्त और आत्मनिर्भर व्यक्ति थे।
अतुल के परिवार की उम्मीदें
अतुल के पिता, पवन मोदी, जो अपने बेटे की आत्महत्या के बाद पूरी तरह टूट चुके हैं, अब केवल एक ही बात कहते हैं, "हमें न्याय चाहिए और हम अपने पोते की कस्टडी चाहते हैं। हम किसी चीज़ के लिए नहीं बल्कि अपने बेटे की खोई हुई ज़िन्दगी के बदले न्याय चाहते हैं।" पवन मोदी ने मीडिया से बातचीत में बताया कि उन्होंने और उनकी पत्नी ने अपने जीवन का अधिकांश हिस्सा मेहनत में बिताया। 1980 में समस्तीपुर के पूसा वैनी गांव में अपने चाचा के साथ काम करते हुए उन्होंने केवल 250 रुपये महीने की सैलरी पर नौकरी की शुरुआत की थी। फिर धीरे-धीरे उन्होंने अपनी मेहनत और संघर्ष से बिजनेस शुरू किया और अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारने की कोशिश की। "हमने एक-एक पाई जोड़कर अपने बेटों को पढ़ाया। हम दिन-रात दुकान पर बैठे रहते थे, ताकि कभी कोई कस्टमर खाली हाथ न जाए। अपनी पत्नी के साथ 16 से 18 घंटे काम किया। हमें कभी छुट्टी नहीं मिली, चाहे होली हो या दीवाली। लेकिन उस समय हम यही सोचते थे कि हमारे बच्चों को कभी किसी चीज़ की कमी नहीं होगी," पवन मोदी कहते हैं। उनका कहना है कि उनका बेटा अतुल बेहद मेहनती था और हमेशा ईमानदारी से काम करता था। अतुल ने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी और उन्हें उम्मीद थी कि वह एक दिन अपने परिवार का नाम रोशन करेगा। लेकिन अतुल की आत्महत्या ने उनके जीवन के सारे सपनों को तोड़ दिया।
झूठे आरोपों के खिलाफ संघर्ष
पवन मोदी और उनकी पत्नी का कहना है कि उन्होंने कभी अपनी बहू से दहेज की मांग नहीं की। पवन मोदी ने यह भी कहा कि उनकी बहू निकिता, केवल दो दिन उनके घर में रही और इसके बाद वह बेंगलुरु चली गई। अतुल के परिवार का आरोप है कि उन्हें झूठे आरोपों में फंसाया गया, जिससे वह मानसिक तनाव का शिकार हो गए और अंततः आत्महत्या करने पर मजबूर हुए। पवन मोदी का यह भी कहना है कि उनके बेटे को शराब पीने या अपनी पत्नी को पीटने का कोई दोष नहीं था, जैसा कि आरोप लगाया गया था। उन्होंने बताया कि उनके बेटे ने कभी न तो शराब का सेवन किया और न ही किसी प्रकार की हिंसा की। पवन मोदी का कहना है कि वह जानते हैं कि अतुल ने जो कुछ भी किया वह उसके दिल से परेशान होने और उत्पीड़न के कारण किया। उनका यह भी कहना था कि सुप्रीम कोर्ट ने कई बार 498A (दहेज उत्पीड़न) के मामले में कहा है कि ऐसे केस अक्सर झूठे होते हैं और इस मामले में भी यही स्थिति है।
पोते की कस्टडी की मांग
अतुल के माता-पिता का कहना है कि उनका बेटा अब उनके पास नहीं है, लेकिन उनके पोते को वे किसी भी हालत में खोने नहीं देना चाहते। पवन मोदी ने कहा, "हमारा बेटा हमसे छिन गया है, लेकिन हमें हमारे पोते की कस्टडी चाहिए। हम उसे प्यार देंगे, और उसकी परवरिश में कोई कमी नहीं रखेंगे। हम उसे किसी भी चीज़ की कमी महसूस नहीं होने देंगे।" पवन मोदी ने यह भी कहा कि वे अपने पोते को अपने बेटे से भी ज्यादा प्यार देंगे। वे अब अपने पोते को किसी भी मुश्किल से बचाना चाहते हैं और चाहते हैं कि पोते को अच्छा जीवन मिले। उनका कहना है कि यह न्याय की सिर्फ एक छोटी सी मांग है, जिसे हर माता-पिता का अधिकार होना चाहिए।
अतुल के परिवार का दर्द और न्याय की गुहार
अतुल के माता-पिता का दर्द साफ तौर पर उनके चेहरे पर दिखता है। पवन मोदी ने कहा, "हमारे बेटे को हमसे छीन लिया गया है। हम अब सिर्फ यह चाहते हैं कि हमें न्याय मिले। हम कोई बड़ा धन या संपत्ति नहीं चाहते। हम तो बस अपने पोते को प्यार देना चाहते हैं।" उन्होंने अपील की कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार और यूपी के मुख्यमंत्री उनकी मदद करें और इस मामले में उनकी सुनवाई करें। पवन मोदी और उनकी पत्नी घर के बाहर तख्तियों के साथ बैठे रहते हैं जिन पर लिखा होता है – "Justice Is Due" (न्याय मिलना अभी बाकी है)।
न्याय की उम्मीद और परिवार का संघर्ष
अतुल सुभाष की आत्महत्या का मामला न केवल उनके परिवार के लिए बल्कि समाज के लिए भी एक बड़ा सवाल बन गया है। पवन मोदी और उनकी पत्नी चाहते हैं कि उनके बेटे को न्याय मिले और समाज में हर किसी को यह संदेश जाए कि झूठे आरोपों के कारण किसी की जिंदगी नहीं खराब होनी चाहिए। अतुल के परिवार का यह संघर्ष केवल एक परिवार की कहानी नहीं, बल्कि एक ऐसी समस्या का चेहरा बन गया है, जिसमें कई परिवारों को न्याय की तलाश होती है। अतुल के माता-पिता का दर्द और उनकी अपील साफ तौर पर यह दिखाती है कि समाज में न्याय की आवश्यकता कितनी महत्वपूर्ण है, और हर व्यक्ति का हक है कि उसे बिना किसी भेदभाव के न्याय मिले।