भले ही अनिल अंबानी (Anil Ambani) अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार के संकेत दिखा रहे हैं लेकिन उनकी समस्याएं खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने उन्हें 154.5 करोड़ रुपए जमा करने का नोटिस दिया है। यह निर्देश रिलायंस होम फाइनेंस (Reliance Home Finance) की प्रवर्तक कंपनी सहित छह अन्य इकाइयों को जारी किया गया है, जो कि धन की हेराफेरी के आरोप में दिया गया है।
सेबी ने इन इकाइयों को 15 दिनों के भीतर भुगतान करने की अंतिम तिथि दी है। अगर वे इस अवधि में भुगतान करने में असफल रहते हैं, तो उनकी संपत्तियों और बैंक खातों को कुर्क करने की कार्रवाई की जाएगी।
इन कंपनियों के नाम शामिल
जिन इकाइयों को नोटिस भेजे गए हैं, उनमें क्रेस्ट लॉजिस्टिक्स एंड इंजीनियर्स प्राइवेट लि. (अब सीएलई प्राइवेट लि.), रिलायंस यूनिकॉर्न एंटरप्राइजेज प्राइवेट लि., रिलायंस एक्सचेंज नेक्स्ट लि., रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लि., रिलायंस बिजनेस ब्रॉडकास्ट न्यूज होल्डिंग्स लि. और रिलायंस क्लीनजेन लि. शामिल हैं। इन इकाइयों के जुर्माना देने में विफल रहने पर मांग नोटिस आया है।
नियामक ने छह अलग-अलग नोटिस में इन इकाइयों में प्रत्येक को 25.75 करोड़ रुपए का भुगतान करने का निर्देश दिया है। इसमें ब्याज और वसूली लागत शामिल है। नियामक बकाया भुगतान नहीं करने की स्थिति में इन इकाइयों की चल और अचल संपत्तियों को कुर्क कर और उसे बेचकर राशि की वसूली करेगा। इसके अलावा, उनके बैंक खातों को भी कुर्क किया जाएगा।
क्यों मिला नोटिस
सेबी ने इस साल अगस्त में कंपनी से धन के हेराफेरी को लेकर उद्योगपति अनिल अंबानी, रिलायंस होम फाइनेंस के पूर्व प्रमुख अधिकारियों सहित 24 अन्य इकाइयों को प्रतिभूति बाजार से पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया था। नियामक ने अंबानी पर 25 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था। साथ ही उनपर पांच साल के लिए किसी भी सूचीबद्ध कंपनी या बाजार नियामक के साथ पंजीकृत मध्यस्थों में निदेशक या प्रबंधन स्तर पर प्रमुख पद लेने पर रोक लगा दी।
6 महीने के लिए बैन
साथ ही नियामक ने रिलायंस होम फाइनेंस को छह महीने के लिए प्रतिभूति बाजार से प्रतिबंधित कर दिया और उस पर छह लाख रुपए का जुर्माना लगाया था। सेबी ने 222 पृष्ठ के अंतिम आदेश में कहा कि अनिल अंबानी ने आरएचएफएल के प्रबंधन स्तर के प्रमुख कर्मचारियों की मदद से राशि की हेराफेरी की। इस रकम को इस रूप से दिखाया गया कि उनसे जुड़ी इकाइयों ने कंपनी से कर्ज लिया है।
हालांकि, आरएचएफएल के निदेशक मंडल ने इस तरह की कर्ज गतिविधियों को रोकने के लिए कड़े निर्देश जारी किए थे और नियमित रूप से कंपनी की समीक्षा की थी लेकिन कंपनी के प्रबंधन ने इन आदेशों को नजरअंदाज किया।