जानबूझकर लोन न चुकाने वालों पर अब कड़ी कार्रवाई का रास्ता साफ हो गया है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने बैंकों को निर्देश दिया है कि ऐसे उधारकर्ताओं को विलफुल डिफॉल्टर घोषित करने में देरी न करें। बैंकों ने ऐसे ग्राहकों को विलफुल डिफॉल्टर घोषित करने के लिए अधिक समय मांगा था लेकिन आरबीआई ने उनकी मांग खारिज कर दी है।
आरबीआई ने बैंकों को स्पष्ट किया है कि जो लोग लोन लेकर जानबूझकर उसकी अदायगी नहीं कर रहे हैं, उन्हें जल्द से जल्द विलफुल डिफॉल्टर घोषित किया जाए ताकि लोन की रकम की वसूली की जा सके। विलफुल डिफॉल्टर ऐसे कस्टमर होते हैं, जो लोन चुकाने की क्षमता रखने के बावजूद, जानबूझकर भुगतान करने से बचते हैं।
रिजर्व बैंक ने क्यों दिया यह आदेश?
एक रिपोर्ट के अनुसार करीब दो हफ्ते पहले नियामक ने इंडस्ट्री से कहा था कि जानबूझकर कर्ज न चुकाने वाले को वर्गीकृत करने का फैसला छह महीने के भीतर पूरा किया जाना चाहिए। RBI के कामकाज से अवगत एक शख्स ने कहा कि गलत कर्जदारों को अपनी बात रखने के लिए अगर लंबा समय दिया जाता है तो इससे उनकी संपत्तियों के मूल्य में गिरावट आने का जोखिम रहता है। ऐसे में लोन की रकम की रिकवरी करना मुश्किल होता है।
कब किया जाता है विलफुल डिफॉल्टर
जब कोई शख्स लोन की रकम की ईएमआई तीन महीनों यानी 90 दिनों तक नहीं देता है तो उसका अकाउंट एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) में बदल जाता है। इसके बाद बैंक लोन की रिकवरी शुरू करता है। इस प्रक्रिया में बैंक लोन लेने वाले कस्टमर को अपनी बात रखने का मौका देता है।
अगर बैंक को लगता है कि ग्राहक जानबूझकर लोन की रकम नहीं चुका रहा है, जबकि उनकी अच्छी कमाई जारी है तो ऐसे में उसे विलफुल डिफॉल्टर घोषित करने की प्रक्रिया शुरू की जाती है। इस दौरान भी लोन लेने वाले शख्स को अपना मामला पेश करने के लिए व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर दिया जाता है।
गारंटर भी शामिल
अगर कोई ग्राहक जानबूझकर लोन की रकम चुकाने में विफल रहता है तो गारंटर से भी वसूली की जा सकती है। रिजर्व बैंक के जून 2024 के मास्टर सर्कुलर के अनुसार बैंक विलफुल डिफॉल्टर की फोटो भी प्रकाशित कर सकता।