राजस्थान के अलवर में बीजेपी से निलंबित नेता ज्ञानदेव आहूजा का एक विवादित बयान चर्चा का विषय बन गया है। आहूजा ने रामनवमी के दिन अलवर के श्रीराम मंदिर में विपक्षी नेता टीकाराम जूली के पूजा करने के बाद मंदिर में गंगाजल छिड़क कर ‘शुद्धिकरण’ किया। इस कदम को लेकर राजनीति गरमाई हुई है।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भाजपा पर दलित विरोधी और मनुवादी सोच का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह बीजेपी का दलित विरोधी रवैया है, और पार्टी लगातार दलितों का अपमान कर रही है। राहुल गांधी ने ट्वीट किया, “हमारी सोच संविधान के आदर्शों से प्रेरित होनी चाहिए, मनुस्मृति से नहीं।” उनका कहना था कि भाजपा संविधान पर आक्रमण कर रही है, इसलिए उसकी रक्षा जरूरी है।
क्या था गंगाजल छिड़कने का विवाद?
रामनवमी के दिन अलवर के श्रीराम मंदिर में एक प्राण-प्रतिष्ठा समारोह आयोजित किया गया था, जिसमें राजस्थान विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली भी शामिल हुए थे। पूजा करने के बाद अगले दिन ज्ञानदेव आहूजा ने आरोप लगाया कि जूली जैसे लोग, जो श्रीराम के अस्तित्व को नकारते हैं, उन्हें मंदिर में आने का अधिकार नहीं है। आहूजा ने गंगाजल से शुद्धिकरण करने का दावा किया, हालांकि उन्होंने जूली का नाम नहीं लिया, लेकिन उनके बयान को जातिवाद से जोड़कर देखा गया।
इसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने आहूजा को पार्टी से निलंबित कर दिया और कारण बताओ नोटिस जारी किया। भाजपा ने कहा कि आहूजा का बयान पार्टी की विचारधारा और अनुशासन का उल्लंघन है।
मदन राठौड़ का बयान
इस विवाद के बाद भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने भी आहूजा के बयान से किनारा किया। उन्होंने कहा कि भाजपा ऐसे बयान को समर्थन नहीं देती और आहूजा ने किस संदर्भ में यह बयान दिया, यह उन्हें समझ नहीं आया। राठौड़ ने यह भी कहा कि जूली साहब एक नेता हैं और नेता की कोई जाति नहीं होती।