पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय के उस आदेश का स्वागत किया जिसमें उन बेदाग शिक्षकों की सेवाएं बढ़ा दी गई हैं जिन्हें भर्ती प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर हुई अनियमितताओं की वजह से बर्खास्त कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि अब उन्हें राहत मिली है। उच्चतम न्यायालय के उस फैसले से पश्चिम बंगाल सरकार को बड़ी राहत मिली जिसके मुताबिक उन बर्खास्त किए गए शिक्षकों की सेवाएं बढ़ा दी गई हैं, जिन्हें केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने जांच के दौरान बेदाग पाया था। ममता ने शिक्षकों से चिंता न करने का आग्रह किया तथा उन्हें आश्वासन दिया कि समस्या का समाधान कर दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम शीर्ष अदालत के आदेश से खुश हैं...अदालती आदेश से राहत महासूस हुआ है।'' उन्होंने कहा, ‘‘मैं शिक्षकों से अनुरोध करूंगी कि वे चिंता न करें, समस्या का समाधान हो जाएगा।'' प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने राज्य सरकार की इस दलील पर गौर किया कि विभिन्न स्कूलों में पढ़ाई पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है और नयी भर्ती में समय लगेगा। हालांकि, न्यायालय ने राज्य सरकार द्वारा संचालित और सरकार से वित्त-पोषित स्कूलों के ग्रेड 'सी' और 'डी' कर्मचारियों की सेवाएं नहीं बढ़ाईं।
न्यायालय ने राज्य सरकार को 31 मई या उससे पहले भर्ती प्रक्रिया शुरू करने और इस साल 31 दिसंबर तक इसे पूरा करने का निर्देश दिया। अदालत ने राज्य सरकार और उसके पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्यूबीएसएससी) को 31 मई या उससे पहले भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के बारे में सूचित करते हुए अनुपालन हलफनामा दाखिल करने को कहा। न्यायालय ने तीन अप्रैल को राज्य सरकार द्वारा संचालित और वित्त-पोषित स्कूलों में 25,753 शिक्षकों व कर्मचारियों की नियुक्ति को अवैध करार देते हुए पूरी चयन प्रक्रिया को "दोषपूर्ण" बताया था। उच्चतम न्यायालय ने नियुक्तियों को रद्द करने के 22 अप्रैल, 2024 के कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा था।