अलवर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर की प्रतिष्ठा दोबारा की जाएगी। जो जनवरी माह में प्रतिष्ठा की गई थी, वह सिर्फ एक राजनीतिक इवेंट था। उन्होंने कहा कि धर्म शास्त्रों में यह कहीं भी नहीं लिखा कि अधूरे मंदिर की प्रतिष्ठा की जाए। अभी मंदिर का 30 फीसदी निर्माण कार्य हुआ है, ऐसे में प्रतिष्ठा नहीं की जानी चाहिए थी। देश-विदेश का कोई भी पंडित यह बता दे कि अधूरे मंदिर की प्रतिष्ठा की जा सकती है। उन्होंने कहा कि प्रतिष्ठा शब्द को धूमिल किया गया है, ऐसा नहीं किया जाना चाहिए था। अगर सरकार को लाभ लेना ही था, तो इस पर कोई भी कार्यक्रम करा सकते थे और दूसरे शब्दों का उपयोग किया जा सकता था।
शंकराचार्य ने कहा कि इसका परिणाम भी सामने आएगा। कभी भी धर्म शास्त्रों के दुश्मन मत बनो। जब किसी काम का उद्देश्य पूरा नहीं होता, तो उसके दुष्परिणाम भी सामने आएंगे। प्रधानमंत्री मोदी के ङ्क्षहदुत्व के चेहरे के सवाल पर उन्होंने कहा कि राजनीतिक हिंदुत्व की बात तो कोई भी कर सकता है, लेकिन सच्चा ङ्क्षहदू वही है, जो राजनीति से पहले ङ्क्षहदू की बात करे। राम मंदिर के मामले पर उन्होंने कहा कि भाजपा ने कभी भी राम मंदिर का कोई मामला अदालत में नहीं लड़ा।