श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट ने पिछले दिनों एक ऐसी मुस्लिम महिला वकील की बात सुनने से इनकार कर दिया, जिसने सुनवाई के दौरान अपना चेहरा ढका हुआ था। जज ने महिला से नकाब हटाकर चेहरा दिखाने को कहा था, कथित वकील ने चेहरा दिखाने से इनकार कर दिया। इसके बाद जज ने उस मामले की सुनवाई करने से इनकार कर दिया और हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से रिपोर्ट मांगी कि क्या किसी महिला वकील को चेहरा ढककर किसी मामले की पैरवी करने की अनुमति है। कोर्ट ने उस महिला वकील की बात सुनने से इनकार कर दिया और आगे की तारीख दे दी। रिपोर्ट के मुताबिक, रजिस्ट्रार जनरल की रिपोर्ट की जांच करने के बाद हाई कोर्ट की जस्टिस मोक्ष खजूरिया काजमी ने 13 दिसंबर को अपने आदेश में कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) द्वारा निर्धारित नियमों में से किसी में भी ऐसे अधिकार का उल्लेख नहीं है, जिसके तहत कोई भी महिला चेहरे पर नकाब लगाकर या बुर्का पहनकर अदालत में मामले की पैरवी कर सकें।
कोर्ट ने कहा कि बीसीआई की नियमावली के अध्याय 5 (भाग 5) की धारा 49(1) (जीजी) में महिला अधिवक्ताओं के लिए अनुमत ड्रेस कोड का विवरण दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि इन नियमों में कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि इस न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने के लिए इस तरह की कोई पोशाक स्वीकार्य है। दरअसल, 27 नवंबर को हाई कोर्ट में कथित तौर पर एक महिला वकील पेश हुई थीं, जिन्होंने अपना नाम सैयद एनैन कादरी बताया था और घरेलू हिंसा से जुड़े एक मामले में याचिकाकर्ता की तरफ से पेश होते हुए इस मामले को रद्द करने की मांग की। इस दौरान वह कोर्ट रूम में वकील की ड्रेस में थीं, लेकिन अपने चेहरे को ढक रखा था।