लुधियाना : कोरोना के बाद इनफ्लुएंजा का वायरस दुनिया में अपना कहर बरपा सकता है और एक बार फिर से 1918 में कहर बरपा चुके स्पेनिश फ्लू की तरह हालात बन सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन 2 साल पहले ही इस कहर की आशंका व्यक्त कर चुका है। अपने न्यूज़लेटर में इस इनफ्लुएंजा वायरस के कहर से सवा 2 करोड से 3.50 करोड़ मौतों की संभावना व्यक्त की जा चुकी है।
कई विशेषज्ञों का मानना है कि इसकी शुरूआत हो चुकी है जिसका उदाहरण आज खांसी और जुकाम के बढ़ते मामलों से देखा जा सकता है। लोगों को कई सप्ताहों और महीनों तक खांसी पीछा नहीं छोड़ रही और इससे लोग निमोनिया का शिकार हो जाते हैं। डा. बलविंदर सिंह औलख का कहना है कि हिमोग्लूटेन और न्यूरॉनमेनीडेज से मिलकर बना है। उन्होंने कहा कि इनफ्लुएंजा का वायरस चार तरह का होता है जिसे ए, बी, सी, डी के नाम से जाना जाता है। यह इनफ्लुएंजा ए कैटेगरी का वायरस है। यह वायरस हर वर्ष लोगों को कई बार जुकाम की शक्ल में सामने आता है और साल में तीन से चार बार लोग इसका शिकार होते हैं और ठीक भी हो जाते हैं परंतु अब हालात पहले जैसे नहीं रहे। पहले जुकाम बिना दवा के सप्ताह में ठीक हो जाता था परंतु वह यह जुकाम नहीं जो किताबों में पढ़ाया गया है।
उन्होंने बताया कि अब तक सामने आई रिपोर्ट में 92 प्रतिशत लोगों को बुखार, 86 प्रतिशत लोगों को खांसी, 27 प्रतिशत लोगों को सांस लेने में दिक्कत, जबकि 16 प्रतिशत को सांस लेने पर छाती से सीटी की आवाज सुनती है और इन्हीं में से कई मामले निमोनिया में तब्दील हो जाते हैं इसके अलावा 6 प्रतिशत लोगों को मिर्गी का दौरा भी पड़ता देखा गया है। यह आंकड़े काफी खतरनाक माने जा रहे हैं क्योंकि लोगों विशेषकर बच्चों में खांसी कई सप्ताह तक बनी रहती हैं और डॉक्टर एंटीबायोटिक के अलावा स्टेरॉइड देकर इस पर काबू पाने की कोशिश करते हैं।