कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के लगभग एक दशक तक चले शासन के बाद, उनके इस्तीफे ने राजनीतिक हलचल मचा दी है। 6 जनवरी को ट्रूडो ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने की घोषणा की, जिससे कनाडा में सत्ता परिवर्तन की चर्चा तेज हो गई है। ट्रूडो का इस्तीफा उनके नेतृत्व में मतदाताओं का समर्थन घटने और पार्टी में आंतरिक संघर्षों के कारण आया। उनके इस्तीफे के बाद, अब यह सवाल उठने लगा है कि उनका उत्तराधिकारी कौन होगा। इस प्रक्रिया में भारतीय मूल की नेता अनीता आनंद का नाम प्रमुख रूप से उभर कर सामने आया है।
कैसा रहा जस्टिन ट्रूडो का राजनीतिक करियर
जस्टिन ट्रूडो का राजनीतिक करियर लगभग एक दशक लंबा रहा है। इस दौरान उन्होंने कई राजनीतिक फैसले लिए, लेकिन हाल के वर्षों में उनके नेतृत्व पर सवाल उठने लगे थे। 6 जनवरी को, जस्टिन ट्रूडो ने लिबरल पार्टी के भीतर आंतरिक संघर्षों और उनके नेतृत्व को लेकर मतदाताओं का समर्थन घटने का हवाला देते हुए इस्तीफा देने की घोषणा की। हालांकि, ट्रूडो ने यह भी स्पष्ट किया कि वह तब तक प्रधानमंत्री बने रहेंगे, जब तक पार्टी नया नेता नहीं चुन लेती। इस्तीफे की वजह के तौर पर ट्रूडो ने कहा, "मैं किसी भी लड़ाई से पीछे नहीं हटता, खासकर जब वह हमारे देश और पार्टी के लिए महत्वपूर्ण हो। लेकिन कनाडा के लोगों के हित और लोकतंत्र की भलाई मेरे लिए सर्वोपरि हैं।" उनके इस्तीफे से राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है, और अब लिबरल पार्टी के भीतर नया नेतृत्व चुनने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
भारतीय मूल की अनीता आनंद का नाम सबसे प्रमुख
जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे के बाद, अब प्रधानमंत्री पद की रेस में भारतीय मूल की अनीता आनंद का नाम सबसे प्रमुख दावेदारों में लिया जा रहा है। बीबीसी और अन्य प्रमुख मीडिया संस्थानों द्वारा उन्हें उन पांच नेताओं में शामिल किया गया है जो ट्रूडो की जगह प्रधानमंत्री बन सकते हैं। 57 वर्षीय अनीता आनंद वर्तमान में कनाडा की परिवहन और आंतरिक मंत्री के रूप में कार्यरत हैं और अपने प्रभावशाली कार्यों के लिए जानी जाती हैं।
क्या है अनीता आनंद का शैक्षिक अनुभव ?
अनीता आनंद की शैक्षिक पृष्ठभूमि बेहद मजबूत है। उन्होंने क्वीन्स यूनिवर्सिटी से राजनीति में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और इसके बाद ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से न्यायशास्त्र में स्नातक की डिग्री हासिल की। इसके अलावा, डलहौजी विश्वविद्यालय और टोरंटो विश्वविद्यालय से भी उन्होंने विधि में शिक्षा प्राप्त की। राजनीति में कदम रखने से पहले, अनीता आनंद टोरंटो विश्वविद्यालय में विधि की प्रोफेसर थीं।उनकी शैक्षिक उपलब्धियों और पेशेवर अनुभव ने उन्हें कनाडा के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में एक प्रभावशाली नेता के रूप में स्थापित किया। अनीता के पास न केवल गहरी अकादमिक पृष्ठभूमि है, बल्कि वह कनाडा की प्रमुख राजनीतिक हस्तियों के बीच खुद को साबित कर चुकी हैं।
राजनीति में अनीता आनंद की यात्रा
अनीता आनंद ने 2019 में राजनीति में कदम रखा, और तब से ही वह लिबरल पार्टी की सबसे महत्वाकांक्षी और प्रभावशाली सदस्य बन गईं। उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत कनाडा की खरीद मंत्री के रूप में की, जहां उन्होंने COVID-19 महामारी के दौरान वैक्सीन की खरीद और वितरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व में कनाडा ने वैक्सीनेशन के मामले में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की, और यह उनकी कार्यक्षमता का प्रमाण था। 2021 में उन्हें कनाडा की रक्षा मंत्री बनाया गया, जहां उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान यूक्रेन को सहायता प्रदान करने में अहम भूमिका निभाई। अनीता के नेतृत्व में, कनाडा ने सैन्य सहायता और मानवीय राहत कार्यों में भाग लिया। उनके प्रयासों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया। इसके अलावा, उन्होंने कनाडा की रक्षा नीति में कई महत्वपूर्ण सुधार किए और देश की सुरक्षा को प्राथमिकता दी।
भारतीय समुदाय में एक खास पहचान हासिल
अनीता आनंद का जन्म कनाडा के नोवा स्कोटिया प्रांत के केंटविले में हुआ था। उनके माता-पिता, सरोज डी. राम और एस.वी. (एंडी) आनंद, दोनों भारतीय चिकित्सक थे। उनका परिवार भारतीय समुदाय से जुड़ा हुआ है, और इस पृष्ठभूमि के कारण अनीता आनंद को भारतीय समुदाय में एक खास पहचान हासिल है। उनके परिवार के सदस्य भी विभिन्न क्षेत्रों में सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचे हैं। अनीता की दो बहनें, गीता और सोनिया आनंद, भी अपनी-अपनी जगहों पर बहुत सफल हैं। भारत के साथ उनके रिश्ते भी बेहद मजबूत हैं। अनीता आनंद के परिवार की भारतीय चिकित्सा पृष्ठभूमि और उनका व्यक्तिगत लगाव भारत से, उन्हें भारत के संदर्भ में एक उपयुक्त नेता बना सकता है, जो कनाडा और भारत के रिश्तों को सुधारने में अहम भूमिका निभा सकती हैं।
भारत-कनाडा संबंधों में सुधार की संभावना
अगर अनीता आनंद कनाडा की प्रधानमंत्री बनती हैं, तो यह भारत और कनाडा के रिश्तों में एक सकारात्मक बदलाव का संकेत हो सकता है। ट्रूडो के शासनकाल के दौरान दोनों देशों के रिश्ते काफी तनावपूर्ण रहे थे, विशेषकर जब कनाडाई सरकार ने भारत पर हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप लगाया था। हालांकि, इस आरोप के बारे में कनाडाई सरकार के पास कोई ठोस सबूत नहीं थे, फिर भी इसने दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा दिया। अनीता आनंद के प्रधानमंत्री बनने से दोनों देशों के रिश्तों में सुधार की संभावना जताई जा रही है। उनका भारतीय मूल और उनके परिवार का कनाडा में भारतीय समुदाय से जुड़ा इतिहास, दोनों देशों के रिश्तों को एक नई दिशा दे सकता है। इसके अलावा, उनके नेतृत्व में कनाडा भारत के साथ व्यापार, रक्षा, और सांस्कृतिक रिश्तों में सकारात्मक बदलाव देख सकता है।
आगामी चुनाव और पार्टी की दिशा
कनाडा की लिबरल पार्टी ने 27 जनवरी से 24 मार्च तक संसद का सत्र स्थगित कर दिया है, ताकि वह अपने नए नेता का चुनाव कर सके। इस दौरान, पार्टी में नए नेतृत्व के लिए चुनावी प्रक्रिया तेज हो जाएगी। इसके बाद, विपक्षी दलों ने भी इस चुनावी प्रक्रिया को चुनौती देने की तैयारी शुरू कर दी है, और यह संभावना जताई जा रही है कि वसंत में चुनाव हो सकते हैं। इस चुनावी घमासान में अनीता आनंद का नाम प्रमुख रूप से लिया जा रहा है, और वह पार्टी के अगले प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में उभर सकती हैं।
भारतीय मूल की नेता का प्रधानमंत्री बनना भारतीय समुदाय के लिए गर्व
अनीता आनंद की उम्मीदवारी पर कई प्रमुख राजनीतिक विश्लेषक इस बात से सहमत हैं कि वह एक अनुभवी, संतुलित और सक्षम नेता के रूप में उभर सकती हैं। उनके नेतृत्व में कनाडा में स्थिरता और विकास की उम्मीद की जा रही है। उनकी शिक्षा, अनुभव और भारत के प्रति उनकी प्रतिबद्धता उन्हें एक मजबूत प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाती है। कनाडा में भारतीय मूल के नागरिकों की संख्या काफी बड़ी है, और ऐसे में एक भारतीय मूल की नेता का प्रधानमंत्री बनना भारतीय समुदाय के लिए गर्व का विषय हो सकता है। साथ ही, यह भारत और कनाडा के बीच द्विपक्षीय संबंधों को एक नई दिशा देने का मौका भी हो सकता है।