देहरादून पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि संविधान निर्माता व भारत रत्न से सम्मानित बाबा साहेब डा. भीमराव अंबेडकर के बताये मार्ग पर चलकर ही सभी वर्गाें का कल्याण संभव है।
श्री कोविंद ने कहा कि डा. भीमराव अंबेडकर का व्यक्तित्व हम सभी के लिए प्रेरक है। लोक सेवकों को उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व से प्रेरणा लेने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि श्री अंबेडकर भारतीय बहुज्ञ, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, और समाजसुधारक थे। उन्होंने अछूतों व दलितों से सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया था। उन्होंने श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन भी किया था। बाबा साहेब भारतीय संविधान के जनक एवं भारत गणराज्य के निर्माताओं में से एक थे। उन्होंने कहा की बाबा साहेब के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।
उत्तराखंड भ्रमण पर आए श्री कोविंद व राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेनि) गुरमीत सिंह ने रविवार को मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी (एलबीएनएनए) द्वारा ‘विधान एवं संविधान माह’ के अंतर्गत,‘रिपब्लिकन एथिकः थ्रू डॉ0 बी0 आर0 अंबेडकर’ विषय पर आयोजित सेमिनार में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उन्होंने नेशनल सेंटर ऑफ लॉ एंड एडमिनिस्ट्रेशन (एनसीएलए) और डिस्ट्रिक गवर्नेंस एंड फील्ड एडमिनिस्ट्रेशन सेंटर (डीआईजीएफएसी) का शुभारंभ किया। इस दौरान, अधिकारियों ने दोनों सेंटरों के संबंध में विस्तृत जानकारी दी।
सेमिनार को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए श्री कोविंद ने कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर का व्यक्तित्व हम सभी के लिए प्रेरक है। लोक सेवकों को उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व से प्रेरणा लेने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि श्री अंबेडकर भारतीय बहुज्ञ, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, और समाजसुधारक थे। उन्होंने अछूतों व दलितों से सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया था। उन्होंने श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन भी किया था। बाबा साहेब भारतीय संविधान के जनक एवं भारत गणराज्य के निर्माताओं में से एक थे। उन्होंने कहा की बाबा साहेब के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि लोक सेवकों के रूप में, अपने जिलों में अच्छा प्रशासन विकसित करने के लिए संविधान से समावेशी विशेषताओं को समझना और लागू करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि सिविल सेवकों को, महिलाओं, विकलांग व्यक्तियों और जातीय अल्पसंख्यकों जैसे उपेक्षित समूहों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ना चाहिए। यह जुड़ाव उनकी जरूरतों और चुनौतियों में अंतरदृष्टि प्रदान करेगा और सिविल सेवकों को ऐसी नीतियों और कार्यक्रमों को डिजाइन करने में मदद करेगा जो उनकी जरूरतों के प्रति उत्तरदायी हों।
राज्य के राज्यपाल सिंह ने अकादमी में आयोजित कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए कहा कि विधान और संविधान की गहरी जानकारी सिविल सेवा के अधिकारियों के लिए बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि यह तो हम सब जानते हैं कि डॉ. अंबेडकर संविधान सभा के अध्यक्ष थे, साथ ही स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री भी रह चुके हैं, विधान और संविधान के विषय की सबसे सटीक जानकारी उन्हीं के पास है। हम सब भाग्यशाली हैं कि इस विषय पर आज हम पूर्व राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद के विचारों को सुना।
श्री सिंह ने पूर्व राष्ट्रपति श्री कोविंद का स्वागत करते हुए कहा कि उनका जीवन हम सबके लिए आदर्श है। मुझे भारत के राष्ट्रपति के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान, उनसे बहुत कुछ सीखने का सौभाग्य मिला। उन्होंने कहा कि जब हम भारतीय संविधान की बात करते हैं, तो हम सुशासन के साथ-साथ भारत के नागरिकों के अधिकारों और जिम्मेदारियों का भी उल्लेख कर रहे हैं। हमारे मौलिक अधिकार, हमारे सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, सांस्कृतिक और भाषाई विविधता, शिक्षा का अधिकार हमारे लिए, एक भारत बनाने के लिए सभी दिशानिर्देश हैं। लोक सेवकों के रूप में, यह सुनिश्चित करने के लिए आप सभी पर एक बड़ी जिम्मेदारी है कि हम सभी उस लक्ष्य के लिए प्रयास करें।
राज्यपाल ने कहा कि भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में निरंतर प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रहा है और हमारी जी-20 की अध्यक्षता सार्वभौमिक रूप से स्वीकार की जा रही है, क्योंकि हमने वसुधैव कुटुंबकम की भावना से प्रेरित होकर, इस वर्ष जी-20 की थीम वन अर्थ, वन फैमिली और वन फ्यूचर रखा है। उन्होंने कहा कि 21 वीं सदी का सबसे बड़ा लक्ष्य भारत का एक आधुनिक भारत, एक आत्मनिर्भर भारत बनना है। जिसमें आप सभी लोक सेवकों का महत्वपूर्ण योगदान होने वाला है।
सेमिनार में, पूर्व राष्ट्रपति की पत्नी और देश की प्रथम महिला नागरिक रहीं सविता कोविंद, अकादमी के निदेशक श्रीनिवास आर0 कटिकिथाला, संयुक्त निदेशक सौजन्या सहित अन्य अधिकारीगण उपस्थित रहे।