बंगलुरु टेस्ट के बाद भारत ने पुणे टेस्ट भी हाथ से गवां दिया है। पुणे टेस्ट में टीम इंडिया कहीं पर भी न्यूजीलैंड पर भारी पड़ती नहीं दिखी। इसी हार के साथ अब सवाल यह उठने लगे हैं कि क्या भारत वल्र्ड टेस्ट चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाई कर पाएगा। हालांकि इसके लिए उसे अभी छह मैच भी खेलने हैं और वल्र्ड टेस्ट चैंपियनिशिप में जाने के लिए उसे इन छह मैचों में से चार जीतने ही पड़ेंगे। खैर यह तो आगे की बात है, लेकिन भारत ने पुणे टेस्ट में ऐसी कई गलतियां की जिसकी वजह से उसे हार का सामना करना पड़ा।
दिग्गजों की परफॉर्मेंस
भारतीय टीम के दिग्गज बल्लेबाजों की खराब परफॉर्मेंस का क्रम पुणे टेस्ट में भी जारी रहा। कप्तान रोहित शर्मा इस मैच में भी बेबस दिखे। उनका बल्ला चला ही नहीं, जिसके चलते भारत को अच्छी ओपनिंग नहीं मिल पाई। इसी तरह चेज मास्टर विराट कोहली भी लगातार स्पिन के आगे जूझते नजर आए। टीम को भरोसा था कि विराट इस मैच में बेहतरीन परफॉर्मेंस दिखाएंगे, लेकिन वह दूसरी पारी में भी मामूली स्कोर पर सैंटनर को विकेट दे बैठे।
पेसर अटैक
पुणे टेस्ट में भारत का पेसर अटैक कुछ खास नहीं कर पाया। हालांकि पिच पर स्पिनरों को कामयाबी मिल रही थी। भारत व न्यूजीलैंड के स्पिनरों ने बेहतरीन गेंदबाजी की और जबरदस्त सफलता हासिल की। दूसरी ओर भारतीय तेज गेंदबाजी पुणे में कामयाब नहीं हो सकी। अगर पेसर अटैक शुरूआत में दो तीन विकेट निकाल देता, तो तस्वीर कुछ और होती।
टीम में परिवर्तन
पुणे में टीम में तीन बदलाव हुए। केएल राहुल के स्थान पर शुभमन गिल को मौका दिया गया, लेकिन वह इस मौके को भुना नहीं सके। इसके अलावा मोहम्मद सिराज के स्थान पर आकाशदीप को खिलाया गया, लेकिन वह भी उम्मीदों पर खरा उतर नहीं सके। चूंकी मैदान में स्पिनरों को फायदा मिल रहा था, जिस कारण पेसर अटैक को ज्यादा मौका नहीं दिया गया।
बैटिंग ऑर्डर बदलना
पुणे टेस्ट में बैटिंग ऑर्डर में भी बदलाव देखने को मिला। सरफराज खान की जगह वॉशिंगटन सुंदर को भेजा गया। हालांकि सुंदर ने अच्छे शॉट खेेले, लेकिन वह न्यूजीलैंड के स्पिनरों पर दबाव बनाने में कामयाब नहीं हो सके। सरफराज एक अच्छे बल्लेबाज हैं और बंगलुरु में उन्होंने शतक भी जड़ा था, लेकिन पुणे में वह दोनों परियों में उस लय को पकड़ नहीं पाए।
जल्दबाजी पड़ी भारी
पुणे टेस्ट में भारतीय बल्लेबाजों को जल्दबाजी भारी पड़ी। टारगेट 359 का था और भारत के पास इसे पाने के लिए अढ़ाई दिन थे, लेकिन भारतीय बैटर्ज ने जल्दबाजी की। यशस्वी जायसवाल को छोडक़र कोई भी बैटर्ज क्रीज पर टिक नहीं पाया। अगर बैटर्ज क्रीज पर ज्यादा समय बिताते, तो मैच का नतीजा कुछ और होता। ऊपर से ऋषभ पंत बिना खाता खोले रनआउट हो गए।