कहते हैं, हर सफल आदमी के पीछे एक महिला का हाथ होता है। लेकिन दिल्ली की नयी मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का कहना है कि इसका उल्टा भी सच हो सकता है। शाम ‘पीटीआई-भाषा' को दिए साक्षात्कार में रेखा ने कहा कि उनके करियर को आकार देने और उनकी सफलता में उनके पति की अहम भूमिका रही है। रेखा को एकमात्र अफसोस यह है कि 20 फरवरी को मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद उन्हें परिवार के साथ बिताने वाले समय में कटौती करनी पड़ी है। दिल्ली सचिवालय में दिए गए साक्षात्कार में भाजपा शासित राज्यों की एकमात्र महिला मुख्यमंत्री रेखा ने कहा कि वह अपने “बड़े संयुक्त परिवार” की ऋणी हैं, जिसने उनके सियासी करियर में उन्हें “पूर्ण समर्थन” दिया। रेखा ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की सदस्य के रूप में अपने सियासी सफर की शुरुआत की। वह 1995 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की सचिव चुनी गईं और 1996 में इसकी अध्यक्ष बनीं। एबीवीपी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की छात्र शाखा है, जिसकी कई विश्वविद्यालयों में मजबूत उपस्थिति है। लंबे समय तक नगर निगम पार्षद रहीं रेखा ने इस साल शालीमार बाग से चुनाव जीतकर पहली बार विधानसभा में दस्तक दी।
वह भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और भाजपा की दिल्ली इकाई की महासचिव भी रह चुकी हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद जीवन में आए बदलावों के बारे में रेखा ने कहा कि पहले वह दिल्ली से बाहर पढ़ रही अपनी बेटी और बेटे से रोज बात करती थीं, लेकिन अब उन्हें तीन-चार दिन में एक बार ही उनसे बात करने का समय मिल पाता है। उन्होंने कहा, “तो उनके (बच्चों के) लिए समय में कटौती करनी पड़ी है।” रेखा ने कहा, “पहले मैं अक्सर अपने पति से एक घंटा बात करती थी, लेकिन अब मुझे उनसे दस मिनट भी बात करने से पहले सोचना पड़ता है, क्योंकि मुझे लगता है कि इस बीच कहीं कोई जरूरी फोन कॉल न जाए। अब मैं अपने परिवार के लिए खाना बनाने और उनकी फरमाइशें पूरी करने जैसे काम भी नहीं कर पाती, जो कोई भी गृहिणी आम तौर पर करना पसंद करती है।” यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी सफलता के पीछे उनके पति का हाथ है, रेखा ने कहा, “जी, बिल्कुल।
उन्होंने मेरे लिए बहुत कुछ किया। उनका (परिवार का) साथ और समर्थन एक बड़ा सहारा होता है, जो आगे बढ़ने में आपकी मदद करता है।” जब मुख्यमंत्री को बताया गया कि उनके परिवार के बारे में बहुत कम जानकारी है और बड़े पैमाने पर लोग सर्च इंजन गूगल पर उनके परिवार से जुड़ी जानकारियां खंगालते हैं, तो 50 वर्षीय रेखा ने कहा कि वह एक “बड़े संयुक्त परिवार” में रहती हैं, जिसमें उनके व्यवसायी पति, सास और चार जेठ-देवर के परिवार शामिल हैं। रेखा ने बताया कि मायके पक्ष में उनकी मां, तीन बहनें और एक भाई हैं। उनके पिता का कोरोनाकाल में निधन हो गया था। रेखा दिल्ली में सुषमा स्वराज (भाजपा), शीला दीक्षित (कांग्रेस) और आतिशी (आम आदमी पार्टी) के बाद मुख्यमंत्री पद पर काबिज होने वाली चौथी महिला हैं। हरियाणा के जुलाना में जन्मी रेखा दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलत राम कॉलेज से वाणिज्य में स्नातक हैं। बाद में उन्होंने मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की और लंबे समय तक वकालत की।