शिमला; केंद्रीय बजट की तैयारी में हिमाचल की तीन बड़ी परियोजनाओं का जिक्र सुनाई दिया है। हिमाचल सरकार ने प्रदेश में प्रस्तावित इन परियोजनाओं में केंद्र सरकार से भूमि अधिग्रहण में 50 फीसदी हिस्सेदारी एडवांस में मांगी है। हिमाचल की ओर से तर्क दिया गया है कि ये तीनों परियोजनाएं पूरी तरह से केंद्र सरकार की हैं। ऐसे में हिमाचल को पहाड़ी और सीमावर्ती राज्य होने की वजह से प्रदेश के हिस्से के भुगतान से भी छूट मिलनी चाहिए। इन तीनों परियोजनाओं में कांगड़ा हवाई अड्डा, भानुपल्ली-बिलासपुर और चंडीगढ़-बद्दी रेलवे में भूमि अधिग्रहण शामिल है। तीन परियोजनाओं में भूमि अधिग्रहण को लेकर अधिसूचना जारी हो चुकी है। गौरतलब है कि कांगड़ा एयरपोर्ट के लिए 14 गांवों की 122 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण होना है। इनमें से दस गांव कांगड़ा और चार शाहपुर तहसील के तहत आते हैं। 942 परिवारों के प्रभावित होने की संभावना है। राज्य सरकार ने भूमि अधिग्रहण को लेकर अगस्त माह में अधिसूचना जारी की थी। प्रभावित परिवारों को बसाने के लिए करीब 15 हेक्टेयर जमीन राज्य सरकार उपलब्ध करवाएगी। राज्य सरकार ने एक हजार करोड़ रुपए की व्यवस्था की है। इसके अलावा भानुपल्ली-बिलासपुर-बैरी रेलवे लाइन में करीब 63 किलोमीटर ट्रैक का निर्माण होना है। इसमें भानुपल्ली से बिलासपुर तक का हिस्सा करीब 52 किलोमीटर है, जबकि आगे बैरी स्टेशन के लिए 11 किलोमीटर ट्रैक और बनेगा।
इसके लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी की जानी है। चंडीगढ़-बद्दी रेलवे परियोजना के लिए काफी पहले भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना हरियाणा सरकार ने जारी की है। यहां 130 एकड़ जमीन का अधिग्रहण प्रस्तावित है। इसमें नौ गांव हिमाचल के भी शामिल हैं। इसमें 117 एकड़ जमीन हरियाणा के पंचकूला जिला में आती है। राज्य सरकार को इन तीनों परियोजनाओं के भूमि अधिग्रहण बड़ी रकम चुकानी पड़ रही है, जबकि यह परियोजना केंद्र सरकार के अधीन हैं। ऐसे में अब हिमाचल ने केंद्र के सामने अपना पक्ष रखा है। तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी ने केंद्र सरकार की बजट पूर्व बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के समक्ष राज्य का पक्ष रखा है। इसमें तीनों परियोजनाओं के भूमि अधिग्रहण में केंद्र सरकार से मदद मांगी गई है। राजेश धर्माणी ने बताया कि भूमि अधिग्रहण में 50 फीसदी हिस्सेदारी केंद्र सरकार को निभानी होगी। तीनों परियोजनाएं केंद्र सरकार की हैं। बैठक में उन्होंने हिमाचल में तकनीकी कौशल विश्वविद्यालय खोलने पर भी जोर दिया। राज्य में उपग्रह नगरों की स्थापना के लिए भी मजबूती के साथ पक्ष रखा गया है। केंद्रीय बजट अनुमान पर आयोजित इस मीटिंग में तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी के अलावा राज्य के प्रतिनिधिमंडल में आबकारी कराधान विभाग के कमिश्नर डा. यूनुस और अतिरिक्त आयुक्त जीएसटी राकेश शर्मा शामिल थे।
पीएमजीएसवाई में शामिल हों रोपवे परियोजनाएं
केंद्रीय बजट में हिमाचल की तरफ से एक बड़ा सुझाव रोपवे परियोजनाओं को लेकर भी दिया गया है। हिमाचल में संचालित रोपवे परियोजनाओं को तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी ने प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना में शामिल करने की बात कही है। साथ ही पीएमजीएसवाई में 10 फीसदी का स्टेट शेयर केंद्र सरकार को देने की सिफारिश की है। हिमाचल की ओर से पांच साल तक पीएमजीएसवाई के रखरखाव के बजट के अनुरूप ही रोपवे में भी मदद का हाथ बढ़ाने को कहा गया है।
आरडीजी अनुदान और सीआरआईएफ बढ़ाए केंद्र
केंद्रीय बजट के प्रारूप पर हिमाचल के पक्ष में विशेष केंद्रीय सहायता को जारी रखने की भी बात कही गई है। इसके अलावा केंद्र ने आरडीजी अनुदान और सीआरआईएफ में जो कटौती की है, उसे भी बढ़ाने का पक्ष रखा गया है। 2020-21 में राज्य को मिलने वाली यह ग्रांट 11140 करोड़ रुपए थी और इसके 2025-26 में 3256 करोड़ रुपए रहने की संभावना है। इससे हिमाचल में विकासात्मक कार्यों के प्रभावित होने की आशंका रहेगी। यह मामला भी वित्त मंत्री के समक्ष उठाया गया है।
फसलों पर आयात शुल्क सौ फीसदी करने की मांग
तकनीकी शिक्षा मंत्री ने बजट पूर्व बैठक में सेब समेत अन्य फसलों पर आयात शुल्क को 100 फीसदी करने की भी मांग रखी। इसके अलावा सीवरेज उपचार सुविधाओं के लिए धन उपलब्ध करवाने, ग्रामीण क्षेत्रों में प्राकृतिक खेती और दुग्ध प्रसंस्करण उद्योग और बोर्डिंग स्कूल की स्थापना करने का पक्ष रखा है। केंद्रीय बजट में हिमाचल की बड़ी हिस्सेदारी नजर आ सकती है। हिमाचल ने आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के लिए अनुकूल कोष की स्थापना के लिए मजबूत मामला बनाया है।