भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में आई तल्खी अब बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ने लगी है। खासतौर पर बांग्लादेश की सबसे बड़ी गारमेंट इंडस्ट्री (वस्त्र उद्योग) भारत के कड़े कदम से गहरे संकट में फंस गई है। भारत ने बांग्लादेश को दी गई ट्रांस-शिपमेंट सुविधा को वापस ले लिया है, जिससे वहां के हजारों कारोबारियों और लाखों मजदूरों की आजीविका पर संकट मंडराने लगा है। दरअसल, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस की चीन और पाकिस्तान के साथ बढ़ती नजदीकियों और भारत विरोधी बयानों ने दिल्ली को सख्त रणनीति अपनाने के लिए मजबूर कर दिया। यूनुस ने हाल ही में पूर्वोत्तर भारत को "लैंडलॉक्ड" (भूमि से घिरा हुआ) करार देते हुए चीन को बांग्लादेश के ज़रिए भारत के चिकेन्स नेक (सिलीगुड़ी कॉरिडोर) के पास व्यापार बढ़ाने का न्योता दिया था। इसके जवाब में भारत ने भी साफ कर दिया कि वह अपने क्षेत्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगा।
ट्रांस-शिपमेंट सुविधा अचानक कर दी बंद
भारत ने पिछले हफ्ते बांग्लादेश को दी गई ट्रांस-शिपमेंट सुविधा को अचानक बंद कर दिया। अब तक बांग्लादेश, भारत के बंदरगाहों और एयरपोर्ट्स का इस्तेमाल कर मिडिल ईस्ट, यूरोप, नेपाल और भूटान जैसे देशों के साथ अपने माल की तेज डिलीवरी करता था। इससे बांग्लादेशी कारोबारी बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के अपने उत्पाद खासतौर पर रेडीमेड गारमेंट्स (तैयार वस्त्र) दिल्ली और मुंबई के हवाई अड्डों से पश्चिमी देशों तक भेजते थे। भारतीय विदेश मंत्रालय ने ट्रांस-शिपमेंट सुविधा बंद करने का कारण बताते हुए कहा कि भारतीय बंदरगाहों और हवाई अड्डों पर कामकाज में भारी दिक्कतें आ रही थीं। लेकिन बांग्लादेशी मीडिया रिपोर्ट्स मान रही हैं कि यह फैसला राजनीतिक प्रतिशोध के तहत लिया गया है।
सामान भेजने पर समय और खर्च दोनों बढ़ेंगे
बांग्लादेश की सबसे बड़ी इंडस्ट्री, गारमेंट सेक्टर, इस फैसले से सबसे ज्यादा प्रभावित हो रही है। लाखों लोग इस उद्योग से सीधे जुड़े हुए हैं। Perishable Cargo Agents' Welfare Association( PCASWA ) के सचिव कार्तिक चक्रवर्ती ने बताया कि "दिल्ली और मुंबई के हवाई अड्डों से रेडीमेड गारमेंट्स की तेज डिलीवरी होती थी। भारतीय सुविधाओं का उपयोग करने से माल जल्द पहुंचता था और भीड़भाड़ कम होती थी। अब पारंपरिक रास्तों से सामान भेजने पर समय और खर्च दोनों बढ़ जाएंगे।" बांग्लादेश में पहले ही वित्त वर्ष 2023-24 और 2024-25 के बीच भारत के रास्ते होने वाले निर्यात ट्रांस-शिपमेंट कार्गो में 46% की वृद्धि देखी गई थी। ऐसे में भारत की कार्रवाई से बांग्लादेशी उद्योग को बड़ा झटका लगा है।
भारत का कड़ा संदेश - संप्रभुता से कोई समझौता नहीं
मोहम्मद यूनुस के बयानों के बाद भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी तीखा जवाब दिया। बिम्सटेक (BIMSTEC) शिखर सम्मेलन के दौरान जयशंकर ने कहा कि "भारत की 6,500 किलोमीटर लंबी समुद्री तटरेखा है और बंगाल की खाड़ी में भारत का प्रमुख वर्चस्व है। पूर्वोत्तर भारत बिम्सटेक देशों के संपर्क केंद्र के रूप में उभर रहा है, जहां सड़क, रेलवे, जलमार्ग, ग्रिड और पाइपलाइन का विशाल नेटवर्क तैयार किया गया है।"भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह बांग्लादेश पर निर्भर नहीं है, बल्कि पूरे क्षेत्र में एक बड़ा कनेक्टर है।
बांग्लादेश को विदेशी निवेश और सहायता में भी झटका
भारत, बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और सबसे बड़ा विकास सहयोगी है। भारत के पास बांग्लादेश में 8 बिलियन अमेरिकी डॉलर का डेवलपमेंट पोर्टफोलियो है। ढाका अपनी अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए विदेशी निवेश पर काफी निर्भर है। लेकिन बांग्लादेश में भारत विरोधी भावनाओं के बढ़ने के बाद दिल्ली ने अपनी नीतियों में सख्ती कर दी है।
- सीमाओं पर कड़ा नियंत्रण किया गया है।
- कई सीमाएं आंशिक या पूरी तरह से बंद कर दी गई हैं।
- दोनों देशों के बीच शुरू की गई सार्वजनिक परिवहन परियोजनाएं भी रोक दी गई हैं।
- जून 2024 से भारत-बांग्लादेश बस सेवाएं भी बंद पड़ी हैं।
इससे न केवल व्यापार प्रभावित हुआ है, बल्कि इलाज के लिए भारत आने वाले बांग्लादेशी नागरिकों को भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।