चंडीगढ़ (रोशन लाल) : श्री महावीर स्वामी जिनालय मध्ये गणधर श्री गुरु गौतम स्वामी और अन्य गुरु बिम्बो की प्रतिष्ठा व संक्रांति महोत्सव जैन श्वेताम्बर मंदिर सैक्टर 28 में आयोजित किया गया। यह प्रतिष्ठा व संक्रांति महोत्सव में विशेष रूप से पधारे आत्म-वल्लभ समुदाय के वर्तमान गच्छाधिपति श्रुतभास्कर जैनाचार्य श्री विजय धर्मधुरंधर सूरीश्वर जी के सान्निध्य में श्रद्धाभाव और हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है। आपको बता दें यह महोत्सव 10 से 14 फरवरी तक आयोजित किया जा रहा है। काबिले –गौर है कि 12 फरवरी की शाम को ही भगवान महावीर जैन श्वेतांबर मंदिर में प्रतिष्ठा व संक्रांति महोत्सव के अवसर मंदिर को रंग बिरंगी रौशनी से सजाया गया था जिसे देख शहरवासी मंत्र मुग्ध हो रहे थे। आज 13 फरवरी को इस महोत्सव में संक्रांति अवसर पर मंदिर में सात गुरु बिम्बों की स्थापना हुई और उनके मूर्ति रूपों की प्रतिष्ठा की गयी। इस प्रतिष्ठा में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने जहां गुरु का आशीर्वाद लिया वहीं इस पावन अवसर पर गच्छाधिपति श्रुतभास्कर जैनाचार्य श्री विजय धर्मधुरंधर सूरीश्वर जी महाराज के सुंदर विचार भी श्रवण किए। आज के प्रतिष्ठा व संक्रांति महोत्सव की बात करें तो इसमें विशिष्ट अतिथियों के रुप में श्री जितेंद्र कुमार जैन, एडीजीपी पंजाब श्रीमती आशिका जैन , डीसी मोहाली पंजाब श्री हिमांशु जैन, डीसी रोपड़ पंजाब उपस्थित रहे। आत्म -वल्लभ समुदाय के वर्तमान गच्छाधिपति श्रुतभास्कर जैनाचार्य श्रीमद् विजय धर्मधुरंधर सूरीश्वर जी गुरु मंदिर प्रतिष्ठा के बारे में जानकारी दी। वहीं इस प्रतिष्ठा व संक्रांति महोत्सव के दौरान आत्म-वल्लभ समुदाय के वर्तमान गच्छाधिपति श्रुतभास्कर जैनाचार्य श्री विजय धर्मधुरंधर सूरीश्वर जी ने समस्त जन को रोगियों की निस्वार्थ सेवा करने का महत्व समझाया। वहीं श्री विजय धर्मधुरंधर सूरीश्वर जी ने साधुओं को चार सुख्य काम पर प्रकाश डाला जिनमें सेवा ,स्वाध्याय शामिल हैं।उन्होंने बताया की परमात्मा कहते हैं कि साधुओं को सबसे पहला अवसर सेवा को देना चाहिए न की स्वाध्याय को क्योंकि यही सबसे बड़ा पुण्य हैं और बताया की परमात्मा ने कहा की जो रोगी व्यक्ति की सेवा करता है वह एक अपेक्षा से मेरी ही सेवा करता है वहीं श्री विजय धर्मधुरंधर सूरीश्वर जी महाराज ने समस्त जन मनुष्यों को भी संदेश दिया की शारिरीक रोग तो स्वाभाविक हैं लेकिन आज के समय में अन्य रोगों से अवश्य बचाव करें।
इस अवसर पर पूज्य गणी श्री इंद्रजीत विजय जी ने भी अपने विचार रखे अनेक भाई बहनों ने। सुंदर गीत प्रस्तुत किए । श्री आत्मानंद जैन सभा के पदाधिकारी जनों ने पूज्य गच्छाधिपति गुरुदेव जी को कांबली ओढ़ाई। एक पुस्तक का विमोचन किया गया।