केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने रविवार को भारत मंडपम में विश्व स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन (WHS) क्षेत्रीय बैठक एशिया 2025 को संबोधित किया। जिसमें उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान भारत की सक्रिय और दयालु वैश्विक प्रतिक्रिया पर प्रकाश डाला। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत की वैक्सीन कूटनीति और आयुष्मान भारत वैश्विक स्वास्थ्य समानता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि सरकार सार्वजनिक स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है, आयुष्मान भारत योजना के तहत अब 620 करोड़ से अधिक लोग निःशुल्क स्वास्थ्य सेवा के पात्र हैं।
केंद्रीय मंत्री गोयल ने बताया कि ‘वैक्सीन मैत्री’ पहल के माध्यम से, भारत ने कम विकसित और कमज़ोर देशों को लगभग 300 करोड़ वैक्सीन खुराकें प्रदान कीं। जिनमें से कई निःशुल्क थीं। यह सुनिश्चित करते हुए कि कोई भी देश पीछे न छूटे। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि कोविड-19 के दौरान निर्यात नियंत्रण लगाने वाले कई अन्य देशों के विपरीत, भारत ने वसुधैव कुटुम्बक -“दुनिया एक परिवार है” के अपने प्राचीन लोकाचार पर खरा उतरते हुए सभी के लिए समान पहुँच को प्राथमिकता दी।
केंद्रीय मंत्री गोयल ने आभार व्यक्त किया कि एशिया में पहली डब्ल्यूएचएस क्षेत्रीय बैठक “स्वास्थ्य समानता सुनिश्चित करने के लिए पहुंच बढ़ाने” पर केंद्रित थी। उन्होंने कहा कि गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच सतत विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और सभी के लिए बेहतर स्वास्थ्य सेवा पहुंच हासिल करने में भारत की यात्रा को साझा किया।
उन्होंने महामारी के दौरान वैश्विक नेताओं के साथ व्यक्तिगत बातचीत को याद किया, और बताया कि कैसे भारत ने वैश्विक स्वास्थ्य संकटों से लाभ कमाने की प्रवृत्ति का विरोध करते हुए उचित मूल्य पर महत्वपूर्ण दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित की।
वहीं, स्वास्थ्य समानता के विषय को संबोधित करते हुए, पीयूष गोयल ने मामूली वृद्धिशील नवाचारों के माध्यम से दवा पेटेंट का विस्तार करने के प्रयासों की कड़ी आलोचना की, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि इससे लाखों लोग सस्ती दवाओं तक पहुंच से वंचित हो सकते हैं। उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे दूरदराज के क्षेत्रों में भी गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के भारत के प्रयासों का प्रत्यक्ष अनुभव करें।
उन्होंने कहा कि शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक तंदुरुस्ती, स्वच्छ वातावरण, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, डिजिटल कनेक्टिविटी और आर्थिक सशक्तीकरण मिलकर एक सच्चे स्वस्थ समाज का आधार बनते हैं।