बेंगलुरू। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने रविवार को स्पाडेक्स (स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट) मिशन की प्रगति पर एक रोमांचक अपडेट देते हुए कहा कि यह एक ऐतिहासिक डॉकिंग घटना के करीब पहुंच गया है। इसरो ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किए गए एक बयान में खुलासा किया, “15 मीटर की दूरी पर हम एक-दूसरे को और अधिक स्पष्ट रूप से देखते हैं, हम रोमांचक ‘हैंडशेक’ के लिए सिर्फ 50 फीट की दूरी पर हैं।”
यह मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जिसका उद्देश्य कक्षा में स्वायत्त डॉकिंग क्षमता का प्रदर्शन करना है, जो मानव अंतरिक्ष उड़ान और गहरे अंतरिक्ष मिशन सहित उन्नत अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए एक महत्वपूर्ण तकनीक है। स्पोडेक्स पर इसरो के मिशन नियंत्रण द्वारा बारीकी से निगरानी की गई है और वैज्ञानिक एक सफल डॉकिंग प्राप्त करने के बारे में आशावादी हैं। एक अधिकारी ने टिप्पणी की, “यह हमारी इंजीनियरिंग और नवाचार का एक प्रमाण है, जो अत्याधुनिक अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में नेतृत्व करने की भारत की क्षमता को प्रदर्शित करता है।” आगे के अपडेट की प्रतीक्षा है क्योंकि मिशन डॉकिंग अनुक्रम के अंतिम चरण में प्रवेश कर रहा है।
क्या है Spadex मिशन?
बता दें कि इस मिशन में दो सैटेलाइट हैं। पहला चेसर और दूसरा टारगेट। चेसर सैटेलाइट टारगेट को पकड़ेगा। उससे डॉकिंग करेगा। इसके अलावा इसमें एक महत्वपूर्ण टेस्ट और हो सकता है। सैटेलाइट से एक रोबोटिक आर्म निकले हैं, जो हुक के जरिए यानी टेथर्ड तरीके से टारगेट को अपनी ओर खींचेगा। ये टारगेट अलग क्यूबसैट हो सकता है। इस प्रयोग से फ्यूचर में इसरो को ऑर्बिट छोड़ अलग दिशा में जा रहे सैटेलाइट को वापस कक्षा में लाने की तकनीक मिल जाएगी। साथ ही ऑर्बिट में सर्विसिंग और रीफ्यूलिंग का ऑप्शन भी खुल जाएगा। Spadex मिशन में दो अलग-अलग स्पेसक्राफ्ट को अंतरिक्ष में जोड़कर दिखाया जाएगा।