उत्तर प्रदेश के महाकुम्भ मेले में विभिन्न अखाड़ों का मौनी अमावस्या पर्व पर अमृत स्नान फिर से शुरू हो गया। मंगलवार देर रात संगम नोज के पास भगदड़ की घटना के कारण अखाड़ों का अमृत स्नान सुबह टल गया था और भीड़ नियंत्रित होने के बाद दोपहर में स्नान विलंब से शुरू हुआ। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने भगदड़ को विपक्ष की ‘साजिश' करार देते हुए इसे ‘जांच का विषय' बताया।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने संवाददाताओं को बताया, “साधु-महात्माओं और नागा संन्यासियों सहित सभी ने स्नान किया। इसके लिये माननीय मुख्यमंत्री जी (योगी आदित्यनाथ) को बहुत-बहुत बधाई देना चाहता हूं। हमारे मेला प्रशासन को भी बहुत-बहुत साधुवाद।” पुरी ने भगदड़ के बाद की स्थिति की तरफ इशारा करते हुए कहा, “मैं समझता हूं कि आज का स्नान करना बहुत मुश्किल हो चुका था।'' उन्होंने हालांकि यह भी कहा, “चाहे सुबह हो या शाम क्योंकि आज अमावस का स्नान है। आज रात का स्नान बहुत अच्छा स्नान है।”
यह विपक्ष की साजिश होगी- पुरी
पुरी ने महाकुम्भ के प्रबंधन की बागडोर सेना को सौंपने की समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की मांग के बारे में कहा, “मैं समझता हूं कि यह विपक्ष की साजिश होगी। यह जांच का विषय है कि कहीं विपक्ष ने ही तो नहीं कुछ ऐसा किया जिसके कारण यह सब कुछ हुआ।” उन्होंने कहा, “विपक्ष आज से ही नहीं बल्कि जब से मेला शुरू हुआ था तब से हमारे पीछे लगा हुआ था। उनका कहना था कि मेला भूमि वक्फ बोर्ड की है। उनका यह कहना था कि गंगा में स्नान करना पाप होता है। गंगा में स्नान करने से बीमारी होती है। इसलिए मुझे शंका होती है कि कहीं ये विपक्ष की ही चाल तो नहीं।”
पुरी दुनिया में सनातन धर्म सबसे बड़ा धर्म
एक संत ने बताया कि अमृत स्नान के लिए क्रम में सबसे पहले श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी और श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़ा के साधु सन्यासियों ने अमृत स्नान किया। उन्होंने बताया कि उसके बाद श्री निरंजनी अखाड़ा के साधु संतों ने स्नान किया। इस बीच, श्रंगेरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी विदुशेखर भारती ने कहा, “इस पवित्र मौनी अमावस्या के दिन हम यहां संगम पर स्नान करने आये हैं। पूरी दुनिया में सनातन धर्म का यह संदर्भ सबसे बड़ा है। इसमें करोड़ों लोग यहां आ रहे हैं। ऐसे पवित्र संदर्भ को हम सनातन धर्म परम्परा के अतिरिक्त हम कहीं भी नहीं देख सकते हैं। हमारे साथ द्वारका और बद्री के शंकराचार्य जी भी उपस्थित हैं। हम तीनों अभी स्नान करने जा रहे हैं।”
अखाड़ों के साधु-संतों में अमृत स्नान को लेकर पहले जैसा उत्साह नहीं दिख रहा क्योंकि भगदड़ की घटना से सभी साधु संत व्यथित हैं। हालांकि अखाड़ों के महंत, श्रीमहंत और पीठाधीश्वर अपने पारंपरिक जुलूस, धर्मध्वजा और आराध्य देव की पालकी के साथ अमृत स्नान के लिए पहुंच रहे हैं। इससे पहले, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने सुबह कहा था कि महाकुम्भ में भगदड़ को देखते हुए संतों ने मौनी अमावस्या का अमृत स्नान सुबह टाल दिया है लेकिन भीड़ कम होने पर अखाड़े अमृत स्नान करेंगे।
योगी आदित्यनाथ का बयान
बुधवार तड़के संगम नोज पर बैरियर टूटने से भगदड़ मच गई थी, जिसमें कुछ लोग घायल हो गए और उनका इलाज मेला क्षेत्र में बने अस्पताल में चल रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भगदड़ के बाद अखाड़ों द्वारा मौनी अमावस्या का अमृत स्नान किए जाने के बारे में लखनऊ में कहा, “अखाड़ा परिषद से जुड़े हुए पदाधिकारियों के साथ मैंने खुद भी बातचीत की है। आचार्य, महामंडलेश्वरों और पूज्य संतों के साथ भी बातचीत हुई है और उन्होंने बड़ी ही विनम्रता के साथ इस बात को कहा है कि श्रद्धालु जन पहले स्नान करेंगे और फिर जब उनका दबाव कुछ कम होगा और वे सकुशल वहां से निकल जाएंगे तब हम लोग स्नान करने के लिए संगम की तरफ जाएंगे।”