जम्मू: केंद्र सरकार सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्रों को सड़क संपर्क से जोड़ने को लेकर कोई कसर नहीं छोड़ रही। लद्दाख को हर मौसम में सड़क संपर्क से जोड़े रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय सड़क निर्माण मंत्री नितिन गडकरी सोनमर्ग टनल का उद्घाटन कर चुके हैं।
अब बर्फबारी के दौरान लद्दाख देश के अन्य हिस्सों से जुड़ा रहेगा। सरकार ने जम्मू संभाग को लद्दाख के साथ सड़क संपर्क कायम करने को लेकर भी प्रस्ताव तैयार किया है जिसमें जम्मू संभाग के किश्तवाड़ जिले से लद्दाख के झंस्कार को सड़क मार्ग से जोड़ा जाएगा।
सूत्रों के अनुसार प्रस्तावित सड़क का निर्माण कार्य केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा विस्तृत अध्ययन के बाद शुरू किए जाने की संभावना है। पाडर-झंस्कार सड़क के निर्माण की घोषणा सबसे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले साल सितम्बर में पाडर में एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करते हुए की थी।
सड़क निर्माण से जुड़े अधिकारियों के अनुसार सड़क के लिए प्रस्ताव का मसौदा तैयार कर लिया गया है और इस पर काम शुरू होने से पहले विस्तृत अध्ययन, प्रस्तावित मार्ग और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डी.पी.आर.) के लिए इसे सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को भेजा जा रहा है।
सड़क के लिए प्रस्तावित दोहरे मार्गों में किश्तवाड़-अठोली-माछिल-सूमचन-जोंगखुलम के माध्यम से 45 किलोमीटर और किश्तवाड़-अठोली-डांगैल-पोट ला-बर्धन/हफ्ताल के माध्यम से 80 किलोमीटर शामिल हैं, जो लद्दाख को सीधे जम्मू से जोड़ते हैं।
लद्दाख वर्तमान में जम्मू से श्रीनगर के माध्यम से जुड़ा हुआ है, लेकिन श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग भारी बर्फबारी के कारण सर्दियों के कुछ महीनों के लिए बंद रहता है। प्रस्तावित पाडर-झंस्कार रोड सिर्फ बुनियादी ढांचे के लिहाज से महत्वपूर्ण परियोजना नहीं है, बल्कि यह एक जीवन रेखा है जो लद्दाख और जम्मू के पाडर क्षेत्र और हिमाचल प्रदेश की पांगी घाटी के बीच संपर्क को बदल देगी।
पाडर-झंस्कार सड़क पाडर सब-डिवीजन के जरिए एक सुरक्षित मार्ग भी प्रदान करेगी, जो राष्ट्र-विरोधी तत्वों के लिए कमजोर इलाकों को बाईपास करेगी। अधिकारियों ने बताया कि व्यापक विकास योजना के हिस्से के रूप में पाडर से लोसनी मचैल तक 31 किलोमीटर लंबी सड़क को पहले ही मंजूरी मिल चुकी है। सबसे व्यवहार्य और लागत प्रभावी समाधान लोसनी से धारलोंग नाला और छामो चोहार के जरिए डांगैल तक 8 किलोमीटर लंबी सुरंग का निर्माण करना होगा, जो सीधे लद्दाख में झंस्कार से जुड़ जाएगी।