भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो जल्द ही एक नया स्पेस मिशन लॉन्च करने जा रही है जिसका उद्देश्य यह पता लगाना है कि अंतरिक्ष में जीवन कैसे काम करता है। इस मिशन के तहत इसरो अपने पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) का इस्तेमाल करके जैविक प्रयोग करेगा जिसमें जीवित कोशिकाओं को रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इन कोशिकाओं का अध्ययन किया जाएगा कि वे अंतरिक्ष के खतरनाक माहौल में जीवित रह पाती हैं या नहीं।
पालक, लोबिया और आंत के बैक्टीरिया भेजे जाएंगे अंतरिक्ष में
इस मिशन में तीन अलग-अलग जैविक कोशिकाओं को अंतरिक्ष भेजा जाएगा। इनमें पालक, लोबिया और आंत के बैक्टीरिया शामिल हैं। इन कोशिकाओं को एक छोटे सीलबंद बक्से में रखा जाएगा जो पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) के चौथे चरण से अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इसरो ने इस मिशन का नाम "PSLV ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल-4 (POEM-4)" रखा है। इस मिशन के माध्यम से यह जांचने की कोशिश की जाएगी कि क्या इन जीवित कोशिकाओं को अंतरिक्ष के शून्य गुरुत्वाकर्षण और अन्य प्रतिकूल परिस्थितियों में जीवन को बनाए रखने में सफलता मिलती है या नहीं।
इसरो का पहला जैविक प्रयोग
इसरो के अध्यक्ष डॉ. एस सोमनाथ ने बताया कि यह भारत से अंतरिक्ष में जैविक प्रयोग का पहला प्रयास है। इसके माध्यम से खगोल जीवविज्ञान (Astrobiology) पर अध्ययन शुरू किया जाएगा जिससे यह पता चल सकेगा कि अंतरिक्ष के प्रतिकूल वातावरण में जीवन कैसे काम करता है। इसके अलावा इस मिशन में स्पेस डॉकिंग परीक्षण भी किया जाएगा जिसमें इसरो पहली बार अंतरिक्ष में किसी सैटेलाइट को डॉक और अनडॉक करने का परीक्षण करेगा।
कुल 24 पेलोड भेजे जाएंगे
इसरो इस मिशन में कुल 24 पेलोड (उपकरण) अंतरिक्ष में भेजेगा जिनका मुख्य उद्देश्य रिसर्च और अकादमिक अध्ययन है। इस मिशन के दौरान कई वैज्ञानिक प्रयोग किए जाएंगे जो जीवन और अंतरिक्ष के प्रभावों पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे।
आंत के बैक्टीरिया पर अध्ययन
अंतरिक्ष में आंत के बैक्टीरिया के प्रभाव पर भी अध्ययन किया जाएगा। बंगलूरू के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में आंत के बैक्टीरिया के जीन रेगुलेशन पर परीक्षण किए जा रहे हैं ताकि यह समझा जा सके कि अंतरिक्ष में आंत के बैक्टीरिया कैसे काम करते हैं। मुंबई में एमिटी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक पालक की कोशिका की ग्रोथ पर परीक्षण कर रहे हैं। इसके अलावा इसरो के तिरुवनंतपुरम स्थित विक्रम साराभाई स्पेस स्टेशन में लोबिया का शून्य गुरुत्वाकर्षण में परीक्षण किया जा रहा है।
इस मिशन से वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद मिलेगी कि अंतरिक्ष के खतरनाक माहौल में जीवन कैसे प्रतिक्रिया करता है और क्या जीवन के लिए वहां कोई संभावनाएं हो सकती हैं।