पोप फ्रांसिस का निधन हो गया। वह 88 वर्ष के थे और काफी लंबे समय से बीमार थे। रिपोर्ट के अनुसार वेटिकन कैमरलेंगो के कार्डिनल केविन फेरेल ने उनके निधन की घोषणा की है। कार्डिनल केविन फेरल, जो वेटिकन के कैमरेलेंगो हैं, ने बताया पोप फ्रांसिस का सोमवार को निधन हो गया। उन्होंने घोषणा कीकि "आज सुबह 7:35 बजे, रोम के बिशप फ्रांसिस परमात्मा के घर लौट गए। उनका सम्पूर्ण जीवन प्रभु और उनके चर्च की सेवा में समर्पित रहा।"
पोप फ्रांसिस का निधन वेटिकन में हुआ, जहाँ वे पिछले कुछ समय से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। उनकी श्वसन संबंधी समस्याएं बढ़ने के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था, और वह लगातार चिकित्सकीय देखरेख में थे। पोप फ्रांसिस का जीवन हमेशा ही विश्वभर में शांति, समानता और न्याय की दिशा में उनके प्रयासों के लिए याद रखा जाएगा।
रविवार को पोप फ्रांसिस ने अपने ईस्टर रविवार के संबोधन में विचारों की स्वतंत्रता और सहनशीलता की अपील की थी। बेसिलिका की बालकनी से लगभग 35,000 लोगों को ईस्टर की शुभकामनाएं देने के बाद, फ्रांसिस ने अपनी पारंपरिक "उरबी एट ऑर्बी" ("नगर और संसार के लिए") आशीर्वाद को एक सहयोगी को पढ़ने के लिए सौंप दिया।उन्होंने अपने भाषण में कहा, "धर्म की स्वतंत्रता, विचारों की स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और दूसरों के विचारों का सम्मान किए बिना शांति संभव नहीं है।" इसके साथ ही, उन्होंने "चिंताजनक" एंटी-सेमिटिज़म (यहूदी विरोधी भावना) की आलोचना की और गाजा में स्थिति को "नाटकीय और दुखद" बताया।
यह संदेश दुनिया भर में धार्मिक और विचारों की स्वतंत्रता, सहिष्णुता और सम्मान की आवश्यकता पर जोर देता है, और यह एक वैश्विक शांति का आह्वान था।पोप फ्रांसिस ने 2013 में पदभार संभाला था और वह पहले ऐसे पोप थे जिन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान चर्च को और अधिक आधुनिक, समावेशी और अधिक मानवाधिकारों के पक्षधर बनाने का प्रयास किया। उन्होंने गरीबों और निर्धनों के लिए काम किया और चर्च के भीतर विभिन्न सुधारों का समर्थन किया। उनका योगदान चर्च के इतिहास में महत्वपूर्ण रहेगा, और उनके कार्यों को भविष्य में भी याद किया जाएगा।