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राष्ट्रीय

चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट का निर्देश, EVM का डेटा मिटाएं नहीं

11 फ़रवरी, 2025 07:52 PM

चुनाव आयोग और ईवीएम से जुड़ी सत्यापन प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि चुनाव आयोग से जुड़ी कोई भी जानकारी या डेटा, विशेषकर ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) से संबंधित डेटा को न तो मिटाया जाए और न ही पुनः लोड किया जाए। यह आदेश एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा दायर की गई याचिका के संबंध में आया है। कोर्ट ने इस मामले में चुनाव आयोग से 15 दिनों में जवाब दाखिल करने को कहा है।

 

क्या है पूरा मामला?
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए मांग की थी कि चुनाव आयोग को ईवीएम की मेमोरी और माइक्रोकंट्रोलर की जांच और सत्यापन के लिए एक ठोस नीति बनानी चाहिए। याचिका में चुनाव आयोग से यह भी मांग की गई थी कि ईवीएम के सॉफ़्टवेयर और हार्डवेयर के संबंध में कोई भी छेड़छाड़ न हो और यदि ऐसा होता है तो उसका पुख्ता प्रमाण मौजूद होना चाहिए। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से यह भी कहा कि वे यह सुनिश्चित करें कि ईवीएम से जुड़े सभी डेटा को मिटाया या फिर से लोड नहीं किया जाए।

 

चुनाव आयोग पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा, "हम नहीं चाहते कि ईवीएम से कोई छेड़छाड़ हो, हम चाहते हैं कि इंजीनियर यह बता सके कि क्या कोई छेड़छाड़ हुई है या नहीं।" कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर किसी उम्मीदवार को ईवीएम के परिणामों पर संदेह है तो इस पर एक इंजीनियर ही स्पष्टता दे सकता है। कोर्ट ने चुनाव आयोग से यह भी कहा कि वे 15 दिनों के भीतर इस मुद्दे पर अपना जवाब दाखिल करें और ईवीएम के डेटा को यथासम्भाव सुरक्षित रखें।

 

चुनाव आयोग ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे अदालत के निर्देशों का पालन करेंगे और अपनी प्रक्रिया को इस प्रकार तैयार करेंगे कि कोई छेड़छाड़ न हो। अदालत ने इस मुद्दे पर कोई भी गलतफहमी दूर करने की कोशिश की और कहा कि वह बस यह सुनिश्चित करना चाहती है कि ईवीएम पर किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ न हो और अगर कोई संदेह है, तो उसका समाधान तकनीकी तरीकों से किया जाए।


सुप्रीम कोर्ट की आशंका
कोर्ट ने आगे कहा, "हम सिर्फ यह जानना चाहते हैं कि क्या कोई छेड़छाड़ हुई है या नहीं। यदि किसी को संदेह है, तो वह इंजीनियर के माध्यम से इसका हल पा सकता है। हमारा उद्देश्य यह नहीं है कि किसी प्रकार की गड़बड़ी हो, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि चुनाव प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष हो।" कोर्ट ने इस संदर्भ में चुनाव आयोग से अपील की कि वे एक स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करें और मतगणना तक ईवीएम से किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ को रोकने के उपायों को लागू करें।

 

पेपर ट्रेल और ईवीएम की जांच
याचिका में एक और महत्वपूर्ण बिंदु उठाया गया था। एडीआर की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि चुनाव आयोग को पेपर ट्रेल के रिकॉर्ड को सुरक्षित रखना चाहिए और ईवीएम के सॉफ़्टवेयर तथा हार्डवेयर की सही तरीके से जांच की जानी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनमें कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। इस पर चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने यह सवाल पूछा, "क्या वोटों की गिनती होने के बाद पेपर ट्रेल सुरक्षित रहेगा या उसे हटा दिया जाएगा?" भूषण ने जवाब दिया कि "ईवीएम के साथ पेपर ट्रेल को सुरक्षित रखा जाना चाहिए और उन्हें नष्ट नहीं किया जाना चाहिए।"
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में चुनाव आयोग को सख्त निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा, "हम विस्तृत प्रक्रिया नहीं चाहते हैं, हम बस यह चाहते हैं कि आप यह प्रमाणित करें कि ईवीएम के डेटा को सुरक्षित रखा जा रहा है और उसमें किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं हो रही है।" इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि कोई उम्मीदवार ईवीएम के परिणामों पर सवाल उठाता है, तो इंजीनियर को यह प्रमाणित करना होगा कि ईवीएम से छेड़छाड़ की गई थी या नहीं।

 

क्या है एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर)?
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) एक गैर-लाभकारी संगठन है, जो भारत में चुनावी सुधार और लोकतंत्र की मजबूती के लिए काम करता है। एडीआर चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता के लिए लगातार काम कर रहा है और चुनाव आयोग से भी ईवीएम में सुधार की मांग कर रहा है

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