गाजा में हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी (UNRWA ) की अधिकारी लुईस वाटरिज ने शुक्रवार को कहा कि गाजा में 20 लाख से ज्यादा लोग भयानक परिस्थितियों में फंसे हुए हैं और बुनियादी जरूरतों तक से वंचित हैं। उन्होंने कहा कि इन लोगों के पास गाजा से बाहर जाने का कोई विकल्प नहीं है। यहां के हालात इतने खराब हैं कि हर रास्ता मौत की तरफ जाता है। यूनिसेफ ने चेतावनी दी है कि सर्दियों के मौसम में स्थिति और गंभीर हो सकती है। गाजा में बच्चे नंगे पैर और गर्मियों के कपड़े पहनकर ठंड का सामना कर रहे हैं। UNRWA के अनुसार गाजा में इन दिनों सर्दी पड़ रही है और इजराइल से 14 महीने से जारी युद्ध के कारण विस्थापित हुए लगभग 20 लाख लोगों में से कई लोग खुद को हवा, ठंड और बारिश से बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
सहायता कर्मियों और निवासियों के अनुसार, कंबलों और गर्म कपड़ों की कमी है, अलाव के लिए लकड़ी बहुत कम है और जिन तंबुओं व तिरपालों में परिवार रह रहे हैं, वे महीनों से जारी उपयोग के कारण बहुत ही खस्ताहाल हो गए हैं। UNRWA ने बताया कि बीते छह महीने से गाजा में जरूरी चीजों की आपूर्ति पूरी तरह ठप है। इसके चलते एजेंसी को लोगों को खाना देने और आश्रय प्रदान करने के बीच चुनाव करना पड़ रहा है। खराब मौसम ने इन चुनौतियों को और बढ़ा दिया है। यूनिसेफ की मुख्य संचार अधिकारी रोसालिया बोलिन ने कहा कि गाजा में बच्चों की एक पूरी पीढ़ी का भविष्य खतरे में है। बीते 14 महीनों में 14,500 से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है, जबकि हजारों घायल हुए हैं। बच्चों को गर्म कपड़े और भोजन तक नहीं मिल पा रहा है। वे ठंड से बचने के लिए मलबे में से प्लास्टिक इकट्ठा कर रहे हैं। स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और अस्पतालों पर हमलों के कारण बीमारियां तेजी से फैल रही हैं।
दक्षिणी शहर रफह से विस्थापित हुईं शादिया अयादा के पास अपने आठ बच्चों को खस्ताहाल तंबू के अंदर ठंड से बचाने के लिए केवल एक कंबल और एक गर्म पानी की बोतल है। उन्होंने कहा, “जब भी हमें पता चलता है कि बारिश और तेज हवा का पूर्वानुमान है, तो हम डर जाते हैं क्योंकि हमारे तंबू हवा से उड़ जाते हैं।'' रात के समय तापमान आम तौर पर पांच से 10 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है, इसलिए अयादा को डर है कि उनके बच्चे गर्म कपड़ों के बिना बीमार पड़ जाएंगे। अयादा ने कहा कि जब वे अपना घर छोड़कर आए थे, तो उनके बच्चों के पास केवल गर्मियों के कपड़े थे। उन्होंने कहा कि उन्हें रिश्तेदारों और दोस्तों से कुछ गर्म कपड़े उधार लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
उत्तरी गाजा से अपने परिवार के साथ विस्थापित हुईं 50 वर्षीय रिदा अबू जरादा ने बताया कि लोग तंबू के अंदर बच्चों को गोद में लेकर सोते हैं ताकि उन्हें गर्म रखा जा सके। उन्होंने कहा, "दरवाजे न होने और तंबू फटे होने के कारण रात में चूहे हमारे ऊपर चलते हैं। कंबल हमें गर्म नहीं रख पाते। हमें ऐसा लगता है कि जमीन पर बर्फ पड़ी हो। हम सुबह ठंड से ठिठुरते हुए उठते हैं।” उन्होंने कहा, "मुझे डर है कि एक दिन मैं जागूंगी और पाऊंगी कि कोई बच्चा ठंड से मर गया है।" संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि अस्थायी आश्रयों में रह रहे लोग शायद सर्दियों में जीवित न रह पाएं। संयुक्त राष्ट्र ने मंगलवार को कहा था कि कम से कम 9,45,000 लोगों को सर्दी से जुड़े सामान की आवश्यकता है, जो गाजा में बहुत महंगे हो गए हैं।