प्रयागराज : यूपी के प्रयागराज में लोक सेवा आयोग कार्यालय (UPPSC) के सामने लगभग 20 हजार छात्र 30 घंटे से धरने पर बैठे हैं। उनकी मांग है कि PCS और RO/ARO परीक्षाएं एक दिन और एक शिफ्ट में आयोजित की जाएं। प्रदर्शनकारी छात्रों के साथ मुलाकात और बातचीत करने के लिए DM रविंद्र और पुलिस कमिश्नर तरुण गाबा पहुंचे हैं। रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) और पुलिस के जवान मौके पर मौजूद हैं।
गौरतलब है कि प्रयागराज में सोमवार को यूपी के अलग-अलग जिलों और दूसरे राज्यों से पहुंचे अभ्यर्थियों ने लोक सेवा आयोग के बाहर धरना दिया। मंगलवार को भी प्रदर्शन जारी रहा। इस दौरान पुलिस और अभ्यर्थियों के बीच झड़प भी हुई। आंदोलन को देखते हुए पुलिस ने आयोग के ऑफिस जाने वाली रास्तों पर बैरिकेड लगा दिए और पूरा इलाका छावनी में बदल गया।
देर रात जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस आयुक्त ने आयोग में बैठक की, जो बेनतीजा रही। इसे लेकर अब राजनीतिक पार्टियां भी छात्रों का समर्थन कर रही है। साथ ही सरकार से अभ्यर्थियों की मांग को स्वीकार करने की बात कर रही है। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भी छात्रों का समर्थन किया है। इसे लेकर उन्होंने योगी सरकार पर सवाल उठाए हैं।
पेपर लीक पर रोक व परीक्षाओं की विश्वसनीयता अहम मुद्दा: मायावती
पेपर लीक पर रोक व परीक्षाओं की विश्वसनीयता अहम मुद्दा, जिसके लिए एक बार में ही परीक्षा व्यवस्था जरूरी। सरकार इस ओर ध्यान दे। साथ ही, गरीबी, बेरोजगारी व महंगाई आदि की जबरदस्त मार झेल रहे छात्रों के प्रति सरकार का रवैया क्रूर नहीं बल्कि सहयोग एवं सहानुभूति का होना चाहिए। इसको लेकर सरकार खाली पड़े सभी बैकलाग पर जितनी जल्दी भर्ती की प्रक्रिया पूरी करें उतना बेहतर। लोगों को रोज़ी-रोज़गार की सख्त जरूरत।
प्रतियोगी छात्रों पर अखिलेश की प्रतिक्रिया
लोक सेवा आयोग (UPPSC) के निर्णय पर हुए बवाल के बीच प्रतियोगी छात्रों ने भी अपना एक नारा दिया है। धरने पर बैठे छात्रों का नारा है, 'न बटेंगे न हटेंगे।' इसी बीच समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने प्रतियोगी छात्रों के मामले पर पोस्ट किया है। जिसमें उन्होंने योगी सरकार पर जमकर निशाना साधा है। अखिलेश यादव ने लिखा, ‘योगी बनाम प्रतियोगी’ छात्र हुआ माहौल! आज उप्र के प्रतियोगी परीक्षाओं के हर अभ्यर्थी, हर छात्र, हर युवक-युवती की ज़ुबान पर जो बात है वो है: ‘नौकरी भाजपा के एजेंडे में है ही नहीं’! उन्होंने चलवाया लाठी-डंडा ‘नौकरी’ नहीं जिनका एजेंडा! नहीं चाहिए अनुपयोगी सरकार!
'कोई भाजपाइयों का मानसिक गुलाम बनने को तैयार नहीं हैं'
अखिलेश यादव ने कहा कि ''भाजपा के लोग, जनता को रोज़ी-रोटी के संघर्ष में उलझाए रखने की राजनीति करते हैं, जिससे भाजपाई साम्प्रदायिक राजनीति की आड़ में भ्रष्टाचार करते रहें। सालों-साल वैकेंसी या तो निकलती नहीं है या फिर परीक्षा की प्रक्रिया पूरी नहीं होती है। भाजपा ने छात्रों को पढ़ाई की मेज से उठाकर सड़कों पर लाकर खड़ा कर दिया है। यही आक्रोशित अभ्यर्थी और उनके हताश-निराश परिवारवाले अब भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन रहे हैं। नौकरीपेशा, पढ़ा-लिखा मध्यवर्ग अब भावना में बहकर भाजपा के बहलावे-फुसलावे में आने वाला नहीं। अब तो व्हाट्सएप ग्रुप के झूठे भाजपाई प्रचार के शिकार अभिभावकों को भी समझ आ गया है कि अपनी सत्ता पाने और बचाने के लिए भाजपा ने कैसे उनका भावनात्मक शोषण किया है। अब ये लोग भी भाजपा की नकारात्मक राजनीति के झांसे में आने वाले नहीं और बाँटने वाली साम्प्रदायिक राजनीति को नकार के ‘जोड़नेवाली सकारात्मक राजनीति’ को गले लगा रहे हैं। अब कोई भाजपाइयों का मानसिक गुलाम बनने को तैयार नहीं हैं।''
आयोग का तर्कः सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए 41 जिलों में ही सेंटर बनाए गए हैं।
छात्रों का जवाबः कुंभ में एक दिन में 3 करोड़ श्रद्धालु आएंगे और स्नान करेंगे, सरकार और प्रशासन उन्हें सुरक्षा मुहैया करवाएगा और आराम से घर भेज देगा। क्या यही शासन-प्रशासन पूरे यूपी में एक साथ 10 लाख अभ्यर्थियों की परीक्षा नहीं करवा सकते?
नॉर्मलाइजेशन को लेकर आयोग के सचिव अशोक कुमार कहते हैं, जितने फॉर्म भरे गए हैं, उनका एक दिन में परीक्षा करवा पाना संभव नहीं दिखता। हमने सेंटर बनाते वक्त यूनिवर्सिटी, मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज को भी शामिल किया, लेकिन पर्याप्त संख्या में केंद्र नहीं मिल सके। बाकी इस परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन की जिस प्रक्रिया को अपनाया गया है, उसे सिविल अपील उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य बनाम अतुल कुमार द्विवेदी व अन्य में 7 जनवरी 2024 को पारित सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में ठीक माना गया है। केरल, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों में यह प्रक्रिया पहले से चल रही।
अब समझते हैं कि नॉर्मलाइजेशन होता क्या है?
जो परीक्षाएं एक दिन में एक शिफ्ट में खत्म हो रही हैं, उसमें नॉर्मलाइजेशन नहीं अपनाया जाता। लेकिन, जो परीक्षा अलग-अलग डेट पर होती है, अलग-अलग प्रश्न पत्र होते हैं, उसमें यह अपनाया जाता है। क्योंकि हर पेपर के डिफिकल्टी लेवल में थोड़ा अंतर हो सकता है। इस कारण सरल आए पेपर के ही शिफ्ट के छात्रों को ही फायदा न हो, इसलिए नॉर्मलाइजेशन प्रोसेस अपनाया जाता है। इसके लिए विभाग एक फॉर्मूले के आधार पर काम करता है।