विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) अब विदेश से उच्च शिक्षा प्राप्त करके लौटने वाले छात्रों की डिग्रियों की मान्यता से पहले उनकी कड़ी जांच करेगा। इसके लिए यूजीसी एक पारदर्शी और सरल प्रणाली तैयार कर रहा है जिससे विदेशी डिग्रियों को भारत में मान्यता देने से पहले पूरी प्रक्रिया स्पष्ट और निष्पक्ष होगी।
नए नियमों के तहत होगी डिग्री की समीक्षा
केंद्र सरकार ने शुक्रवार को 'विदेशी शैक्षणिक संस्थानों से प्राप्त योग्यताओं की मान्यता और समतुल्यता' के लिए नए नियम जारी किए। इसके बाद यूजीसी ने विदेश से स्नातक (UG), स्नातकोत्तर (PG) आदि की डिग्री और पाठ्यक्रम की जांच करने की प्रक्रिया को कड़ा कर दिया है। यूजीसी की विशेषज्ञ समिति अब इन डिग्रियों की जांच करेगी और तय करेगी कि वे भारतीय डिग्रियों के समान हैं या नहीं।
ऑनलाइन पोर्टल से होगी जांच की प्रक्रिया
इस नई प्रणाली के तहत यूजीसी एक ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च करेगा जहां विदेश से पढ़ाई कर लौटे छात्रों को अपनी डिग्री, पाठ्यक्रम और विषयों की जानकारी अपलोड करनी होगी। इसके बाद विशेषज्ञ समिति इस जानकारी की जांच करेगी और 10 कार्यदिवसों के भीतर अपनी सिफारिश देगी। फिर 15 दिनों के अंदर अंतिम फैसला लिया जाएगा। अगर दस्तावेजों में कोई कमी पाई जाती है तो छात्र को समय दिया जाएगा लेकिन गलत जानकारी देने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
नर्सिंग, मेडिकल और अन्य पेशेवर डिग्रियां बाहर
नए नियमों से नर्सिंग, मेडिकल, लॉ, फार्मेसी, आर्किटेक्चर जैसी 14 पेशेवर डिग्रियों और पाठ्यक्रमों को बाहर रखा गया है। ये डिग्रियां संबंधित नियामक संस्थाओं के अधिकार क्षेत्र में आती हैं और इन पर नए नियम लागू नहीं होंगे।
विदेश में शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों की बढ़ती संख्या
भारत से विदेशों में शिक्षा लेने वाले छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 2023 में यह संख्या 8,92,989 तक पहुंच गई जबकि 2024 में अनुमानित 7,59,064 छात्र विदेशों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने जाएंगे।
शैक्षिक सुधार का उद्देश्य
इस सुधार का उद्देश्य भारत को शिक्षा के लिए एक वैश्विक केंद्र में बदलना है। इससे भारतीय संस्थानों को अंतरराष्ट्रीय छात्रों को आकर्षित करने में मदद मिलेगी और विदेशों से आने वाली डिग्रियों की निष्पक्ष मान्यता सुनिश्चित होगी।