सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। इस आदेश के अनुसार कोर्ट ने ईडी के जांच प्रोसेस में एक लक्षमण रेखा खींची है। कोर्ट ने यह फैसला दिया है कि जांच के दौरान ईडी किसी के भी मोबाइल या लैपटॉप से डाटा एक्सेस नहीं कर सकती। यह आदेश नागरिकों के निजता के अधिकार की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
मेघालय पुलिस के पास आई शिकायत के बाद ईडी ने 6 राज्यों की 22 जगहों पर तलाशी की, जिसमें आरोप लगाया गया था कि फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड ने राज्य में लॉटरी के कारोबार पर “अवैध रूप से” कब्जा कर लिया है। ईडी ने इस छापेमारी के दौरान 12.41 करोड़ रुपए का कैश बरामद किया है।
जानकारी के लिए बता दें कि फ्यूचर गेमिंग वह कंपनी है जो इलेक्टोरल बॉन्ड की बड़ी दानकर्ता थी, जिसने 2019 और 2014 के बीच 1,368 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे थे। इसने पार्टी लाइन से हटकर TMC को 542 करोड़ रुपये, DMK को 503 करोड़ और YSRCP को 154 करोड़ रुपये और भाजपा ने 100 करोड़ रुपये दिए थे।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की एक पीठ ने कहा कि नोटिस जारी किया जाता है। इस बीच,अर्जी को ध्यान में रखते हुए अंतरिम राहत प्रदान की जाती है। पीठ ने याचिका पर केंद्र, ईडी और उसके अधिकारियों को नोटिस जारी किए और इस पर लंबित मामलों के साथ 17 फरवरी, 2025 को सुनवाई की तारीख तय की। अन्य मामलों में अमेजन इंडिया के कर्मचारी और 2023 न्यूजक्लिक मामला शामिल है, जहां याचिकाकर्ताओं ने जांच एजेंसियों द्वारा डिजिटल उपकरणों को जब्त करने के लिए दिशानिर्देश मांगे हैं। ईडी सूत्रों ने कहा कि उन्होंने आदेश देखा है और डिजिटल रिकॉर्ड के अलावा मामले में उनके पास अन्य विश्वसनीय साक्ष्य भी बरामद हुए हैं। नवंबर में छह राज्यों में 22 स्थानों पर की गई छापेमारी मेघालय पुलिस की एक शिकायत के बाद की गई थी, जिसमें मार्टिन की कंपनी ‘फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड' पर राज्य में लॉटरी कारोबार पर अवैध रूप से एकाधिकार करने का आरोप लगाया गया था। इस छापेमारी के दौरान 12.41 करोड़ रुपये की नकदी भी प्राप्त हुई थी। फ्यूचर गेमिंग के वकीलों ने दलील दी कि जब्त इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की सामग्री हासिल करना गोपनीयता और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।