ओडिशा के ऐतिहासिक समुद्री तट की पृष्ठभूमि में जहां प्राचीन समुद्री इतिहास की कहानियां आज भी लोककथाओं में जीवित हैं पूर्वी भारत का विकास अब सुर्खियों में आ रहा है। बीते एक दशक में इस क्षेत्र की सांस्कृतिक समृद्धि, रणनीतिक स्थिति और बुनियादी ढांचे की संभावनाओं पर चर्चाएं तेज हो गई हैं। अब ये चर्चाएं अधिक संरचित हो रही हैं जिनका आधार नई दिल्ली की नीतियां और उद्योग, शिक्षा जगत व नागरिक समाज का इस क्षेत्र की अप्रयुक्त क्षमताओं पर बनता सहमति है।
पूर्वी भारत को आगे लाने का विचार नया नहीं
पूर्वी भारत को देश के आर्थिक केंद्र में लाने की यह कहानी नई नहीं है। दशकों पहले राष्ट्रीय नेताओं ने इस क्षेत्र की खनिज संपदा, सांस्कृतिक विविधता और समुद्री इतिहास की ओर ध्यान दिलाया था। बिहार के उपजाऊ मैदानों से लेकर झारखंड के खनिज क्षेत्रों तक पश्चिम बंगाल के बंदरगाहों से आंध्र प्रदेश के तटों और ओडिशा की समुद्री धरोहर तक यह विशाल क्षेत्र हमेशा से राष्ट्रीय और वैश्विक बाजारों से जुड़ने की क्षमता रखता है।
लंबे समय तक पिछड़ा रहा पूर्व
हालांकि लंबे समय तक यह विकास का वादा केवल बातों तक ही सीमित रहा। कई विशेषज्ञ मानते हैं कि पूर्वी भारत निवेश, बुनियादी ढांचे और नवाचार के मामले में पश्चिमी और दक्षिणी राज्यों से पिछड़ गया। लेकिन हाल के वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कई ऐसे कदम उठाए गए हैं जो इस क्षेत्र की तस्वीर बदलने की ओर बढ़ रहे हैं।
'विकसित भारत' में पूर्वी भारत की अहम भूमिका
प्रधानमंत्री मोदी की सरकार पूर्वी भारत को 'विकसित भारत' के लक्ष्य का अहम हिस्सा मानती है। जुलाई 2024 में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में 'पूर्वोदय' योजना की घोषणा की। यह योजना बिहार, ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश के समग्र विकास पर केंद्रित है। इसे इस क्षेत्र की छिपी हुई क्षमताओं को उजागर करने की नई कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
2015 में शुरू हुई थी 'पूर्वोदय' की बात
यह ध्यान रखना जरूरी है कि 'पूर्वोदय' का विचार नया नहीं है। 2015 में प्रधानमंत्री मोदी ने ओडिशा के पारादीप में एक बड़ी तेल रिफाइनरी परियोजना को समर्पित करते हुए पूर्वी भारत के विकास की आवश्यकता पर जोर दिया था। उन्होंने कहा था कि अगर पूर्वी भारत विकसित नहीं होगा तो देश का दीर्घकालिक विकास अधूरा रहेगा।
अब रणनीति के साथ हो रहा है काम
आज 'पूर्वोदय' योजना प्रधानमंत्री की उसी सोच को रणनीतिक तरीके से लागू करने का प्रयास है। इस क्षेत्र में हो रहे प्रयास न केवल बुनियादी ढांचे और निवेश को गति देंगे बल्कि इसे देश की विकास यात्रा का केंद्र भी बनाएंगे।
पूर्वी भारत का यह पुनर्जागरण न केवल इस क्षेत्र के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक नई उम्मीद लेकर आया है।