महिलाओं को होने वाले हैल्थ इश्यूज में थायराइड (Thyroid) रोग भी सबसे आम है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं को ये बीमारी अधिक होती है। भारत में थायराइड की समस्या काफी आम है। अलग-अलग स्टडी के मुताबिक, भारत में लगभग 10-12% आबादी थायराइड विकारों से प्रभावित है। महिलाओं में थायराइड विकार पुरुषों की तुलना में 5-8 गुना अधिक होते हैं। लगभग 20-25% भारतीय महिलाएं अपने जीवन के किसी न किसी बिंदु पर थायराइड विकारों का सामना करती हैं, जिनमें सबसे आम हाइपोथायरायडिज्म (थायराइड हार्मोन का कम स्तर) और हाइपरथायरायडिज्म (थायराइड हार्मोन का उच्च स्तर) है। इसका असर महिला की इंफर्टिलिटी पर पड़ता है। महिलाएं कंसीव नहीं कर पाती। ऐसे में थायराइड पर कंट्रोल रखने के लिए दवा लेना बहुत जरूरी होता है। साथ ही डाइट, एक्सरसाइज व फिजिकल एक्टिविटी पर भी ध्यान देना जरूरी होता है।
थायराइड रोग होता क्या है?
थायराइड रोग, हार्मोनल गड़बड़ी से जुड़ा रोग है जब शरीर में हार्मोंस का बेलेंस बिगड़ता है तो थायराइड की समस्या होती है जिसका कारण काफी हद तक गलत लाइफस्टाइल और डाइट को ही मुख्य तौर पर माना जाता है। बेशक थायराइड का एक कारण गलत लाइफस्टाइल है लेकिन ऑटो-इम्यून डिसीज वालों को इसका अधिक खतरा होता है। थायराइड गले में बटरफ्लाई आकार का एक एंडोक्राइन ग्लैंड होता है, जो मेटाबॉलिज्म, हार्ट फंक्शन, हड्डियों, स्किन और आंतड़ियों के फंक्शन को सही तरीके से काम करने के लिए मददगार है। जब यह असंतुलित हो जाता है तो यह समस्या शुरु होने लगती है।
थायराइड में क्या लक्षण दिखते हैं?
मुख्य तौर पर थायराइड दो तरह का होता है हाइपो थायराइड और हाइपर थायराइड। हाइपो थायराइड में मोटापा, कमजोरी, थकान रहना, डिप्रेशन, तनाव, नींद न आना, सिर दर्द या गर्दन में दर्द होना आदि संकेत दिखते हैं जबकि हाइपर थायराइड तब होता है जब यह प्रॉब्लम बढ़ जाती है। इसमें नर्वनेस, हाथ कांपना, धड़कन तेज होना जैसे लक्षण दिखाई देते है। वहीं कुछ केसेज में चेहरे व शरीर पर मोटे अनचाहे
बाल भी आने लगते हैं।
औरतों में हाइपो थायराइड के लक्षण
बाकियों के मुकाबले ज्यादा ठंड लगना।
कब्ज रहना।
मांसपेशियों में कमजोरी होना।
वजन बढ़ना, बिना डाइट लिए भी बढ़ते रहना।
जोड़ और मसल्स पेन
मूड उदास और डिप्रेस होना।
बहुत ज्यादा थकान रहना।
ड्राई और पीलेपन में त्वचा
महिला को थायराइड होने की सबसे अधिक संभावना कब ?
मेनोपॉज और प्रेगनेंसी के समय महिलाओं को थायराइड होने की संभावना सबसे ज्यादा होती है क्योंकि इस दौरान उनके शरीर में बहुत से हार्मोनल बदलाव होते हैं। साथ ही बढ़ती उम्र, कार्बोहाइड्रेट्स न लेने, ज्यादा नमक या सी फूड खाना और हाशिमोटो रोग से ग्रस्त महिलाओं को इसका खतरा अधिक होता है। साथ ही शरीर में आयोडीन और विटामिन बी12 के कमी के कारण भी इसका खतरा बढ़ जाता है।
प्रैग्नेंसी और थायराइड
अगर प्रेगनेंसी में आपको थायराइड हो गया है तो अपनी सेहत पर खास ध्यान दें। प्रेग्नेंट महिलाओं को समय पर थायराइड का चेकअप करवाना चाहिए। साथ ही इसकी दवाई भी बढ़ती जाती है लेकिन इसमें कोई परेशानी की बात नहीं है। गर्भावस्था में हाइपोथायरायडिज्म आमतौर पर हाशिमोटो रोग के कारण होता है और हर 100 गर्भधारण में से 2 से 3 में होता है। हाशिमोटो रोग एक ऑटोइम्यून विकार है। हाशिमोटो रोग में, प्रतिरक्षा प्रणाली एंटीबॉडी बनाती है जो थायरॉयड पर हमला करती है, जिससे सूजन और नुकसान होता है। गर्भावस्था के दौरान थायरॉइड का सामान्य स्तर 0.4-4 mIU/L होता है। गर्भावस्था की पहली तिमाही में थायरॉइड का स्तर 0.1 mIU/L से कम और 2.5 mIU/L से ज़्यादा नहीं होना चाहिए।
थायराइड में सबसे ज्यादा क्या खाना चाहिए?
थायराइड रोगियों के लिए संतुलित आहार बहुत महत्वपूर्ण है। उन्हें अपने भोजन में सेलेनियम, और जिंक से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल करने चाहिए, क्योंकि ये पोषक तत्व थायराइड हार्मोन के उत्पादन में मदद करते हैं। विटामिन बी 12, मैग्नीशियम, आयरन जरूर लें। प्रोटीन स्रोत, जैसे दालें, नट्स, और मछली, भी फायदेमंद हैं। साबुत अनाज, जैसे ब्राउन राइस और ओट्स, का सेवन करना भी अच्छा रहता है। इसके अलावा, हाइड्रेटेड रहना और जंक फूड, चीनी और प्रोसेस्ड फूड से बचना चाहिए। डाइट में विटामिन डी, अपने चिकित्सक या पोषण विशेषज्ञ के साथ सलाह-मशविरा करके एक व्यक्तिगत डाइट योजना बनाना सर्वोत्तम है।
थायराइड में सुबह खाली पेट क्या खाना चाहिए?
अगर आप थायराइड मरीज है तो खाली पेट लौकी का जूस पी सकते हैं। लौकी का जूस पीने से थायराइड की समस्या में आराम मिलता है और बीमारी कंट्रोल में रहती है। यह एनर्जी बूस्टर का काम करता है।लौकी का जूस पीने से वज़न भी कम होता है। थायराइड की समस्या में चुकंदर और गाजर का जूस भी फायदेमंद होता है। गाजर और चुकंदर खाने से आयरन, विटामिन A, फ़ॉलिक एसिड, और दूसरे विटामिन की कमी को पूरा किया जा सकता है।
थायराइड में कौन सी सब्जी ना खाएं?
पत्तागोभी, फूलगोभी, ब्रोकोली जैसी सब्जियां जिन्हें ब्रैसिका वेजीज कहा जाता है थायरॉइड रोगी को बिल्कुल नहीं खानी चाहिए। ये सब्जियां गोइट्रोजेन नामक एंटी-थायरॉइड कम्पाउंड्स से भरपूर होती हैं जो थायरॉइड के सामान्य कार्य में बाधा उत्पन्न कर सकती हैं।
थायराइड रोगी को चावल खाने चाहिए?
रोटी के मुकाबले में चावल में फैट काफी ज्यादा होता है। इसी के साथ चावल में कॉर्बोहाइड्रेट और कैलोरीज काफी ज्यादा होती है। चावल खाने से मेटाबोलिक सिंड्रोम और शरीर में थायराइड के साथ-साथ टाइप 2 डायबिटीज और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है इसलिए थायराइड मरीज चावल अवॉइड करें।
अतिरिक्त आयोडीन: हाइपरथायरायडिज्म वाले लोगों को आयोडीन से भरपूर खाद्य पदार्थों जैसे समुद्री भोजन और आयोडीन युक्त नमक से परहेज करना चाहिए। लेकिन अगर आपका डाक्टर आपको इसका सही मात्रा में सेवन करने को कहता है तो आप उचित मात्रा में इसका सेवन कर सकते हैं। इसके लिए केला, दूध, स्ट्रॉबेरी, गाजर, आड़ू, नाशपाती खाए लेकिन उचित मात्रा में।
प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ: इनमें अधिक शर्करा, नमक और अस्वास्थ्यकर वसा होते हैं जो थायराइड स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं।
कैफीन और एल्कोहल: चाय कॉफी और कैफीन युक्त चीजों से परहेज करें। एल्कोहल का सेवन भी सलाह से करें क्योंकि यह भी थायराइड की समस्या को बढ़ाता है।
फास्ट फूड और तले-भुने खाद्य पदार्थ: ये शरीर में सूजन बढ़ा सकते हैं और थायराइड स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
यदि आपके थायराइड के स्तर में असामान्यता है तो एक पोषण विशेषज्ञ या डॉक्टर से परामर्श करना सबसे अच्छा है ताकि आपके लिए उचित आहार योजना बनाई जा सके।
याद रखें जरूरी बातें
थायराइड रोग कोई बड़ी परेशानी नहीं है। अगर आप कुछ बातों का ध्यान रखें और दवा समय पर लें तो इस रोग को आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है। थायराइड की दवा खाली पेट खाएं और इसके आधे घंटे तक चाय, दूध का सेवन ना करें। साथ ही तनाव मुक्त रहें और हैल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं। महत्वपूर्ण बात यह है कि हेल्दी लाइफस्टाइल को फॉलो करके ही आप थायराइड को कंट्रोल कर सकती हैं।