शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने विधायकी से इस्तीफे को मंजूरी न देने को लेकर निर्दलीय विधायकों द्वारा दायर याचिका में विधानसभा स्पीकर को नोटिस जारी किया है। हाई कोर्ट ने स्पीकर से 14 दिनों के भीतर याचिका का जवाब दायर करने के आदेश दिए। निर्दलीय विधायकों ने इस्तीफे मंजूर न करने और उन्हें स्पीकर द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी करने के खिलाफ याचिका दायर की है। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ के समक्ष इस मामले पर सुनवाई हुई। याचिका में विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया को निजी तौर पर भी पार्टी बनाया गया है, परंतु कोर्ट ने उन्हें निजी तौर पर नोटिस जारी नहीं किया।
निर्दलीय विधायकों की ओर से कोर्ट को बताया गया कि स्पीकर के कारण बताओ नोटिस का जवाब बुधवार को ही दे दिया जाएगा और हो सकता है कि स्पीकर अगली सुनवाई से पहले कानून के अनुसार उनके इस्तीफे मंजूर कर लें। इस पर कोर्ट ने मामले की सुनवाई 24 अप्रैल को निर्धारित करते हुए स्पीकर से जवाब तलब करने के आदेश जारी किए। प्रार्थियों का कहना था कि जब उन्होंने खुद जाकर स्पीकर के समक्ष इस्तीफे दिए, राज्यपाल को इस्तीफे की प्रतिलिपियां सौंपी, विधानसभा के बाहर इस्तीफे मंजूर न करने को लेकर धरने दिए और हाई कोर्ट तक का दरवाजा खटखटाया, तो उन पर दबाव में आकर इस्तीफे देने का प्रश्न उठाना किसी भी तरह से तार्किक नहीं लगता।
प्रार्थियों का कहना था कि यदि स्पीकर अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए उनके इस्तीफे मंजूर नहीं करते, तो हाई कोर्ट के पास यह शक्तियां हैं कि वह जरूरी आदेश पारित कर उनके इस्तीफों को मंजूरी दे। मामले के अनुसार देहरा से निर्दलीय विधायक होशियार सिंह, नालागढ़ से निर्दलीय विधायक केएल ठाकुर और हमीरपुर से निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा ने विधानसभा की सदस्यता से 22 मार्च को विधानसभा अध्यक्ष तथा सचिव को अपने इस्तीफे सौंपे थे। प्रार्थियों का आरोप है कि विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने इन्हें मंजूरी नहीं दी और इस्तीफे के कारण बताने के लिए 10 अप्रैल तक स्पष्टीकरण देने को कहा। इन विधायकों ने कारण बताओ नोटिस को खारिज कर इस्तीफे मंजूर करने की गुहार लगाई है।
अध्यक्ष बोले, संविधान के अनुसार लेंगे फैसला
विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप पठानिया ने कहा कि निर्दलीय विधायकों के इस्तीफेकी जांच करना स्पीकर का अधिकार है। यह अधिकार संविधान में मिला है, इसलिए वह इन अधिकारों का प्रयोग कर रहे हैं। निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे पर संविधान के अनुसार ही फैसला होगा। माननीय विधायकों ने उनके संवैधानिक अधिकार को चैलेंज किया है। कोर्ट ने उनसे जवाब मांगा है। वह 24 अप्रैल तक अदालत को अपना जवाब देंगे। अब मामला दो-दो जगह चल रहा है। ऐसे में अब चाहकर भी वह 24 अप्रैल से पहले इस्तीफे पर फैसला नहीं दे पाएंगे।