नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत और चीन के बीच तनाव को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच मौजूदा स्थिति से किसी भी देश को लाभ नहीं हुआ है। जयशंकर ने एक पैनल चर्चा में भारत और चीन के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर सेना की मौजूदगी कम करने और मौजूदा समझौतों को बनाए रखने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि ये हमारे साझा हितों में है कि हमें लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर सेनाओं की अधिक तैनाती नहीं करना चाहिए। मुझे लगता है कि ये हमारे साझा हितों में है कि हमें उन एग्रीमेंट्स का पालन करना चाहिए जिन पर हमें हस्ताक्षर किए हैं। ये सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि चीन के हितों में भी है। बीते चार सालों में दोनों देशों के बीच के तनाव से किसी का भी फायदा नहीं हुआ है। विदेश मंत्री जयशंकर ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत हमेशा से सीमा विवाद के निष्पक्ष और तर्कसंगत समाधान को लेकर प्रतिबद्ध है और एलएसी को स्वीकार करता है।
उन्होंने कहा कि हम इस विवाद को जितना जल्दी सुलझा लेंगे, हम दोनों के लिए उतना ही अच्छा है। जयशंकर का ये बयान ऐसे समय आया है, जब चीन के साथ सीमा विवाद को लेकर कई दौर की बातचीत हो चुकी है। जून 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद से भारत-चीन के बीच तनाव बना हुआ है। इस गतिरोध को शांत करने के लिए दोनों के बीच कई दौर की राजनयिक और सैन्य वार्ता हो चुकी है, लेकिन अब तक कोई हल नहीं निकलता है। फिलहाल दोनों ही पक्ष शांति बनाए रखने पर सहमत हुए हैं। चीन की ओर से सीमा विवाद सुलझाने के लिए की गई पेशकश के सवाल पर जयशंकर ने कहा कि कोई भी देश सीमा विवाद को सुलझाने में शामिल है, तो उसे विश्वास करना होगा कि इसका समाधान होना चाहिए।
रूस-चीन और पाकिस्तान पर कही ये बात
जयशंकर ने रूस और चीन के करीब आने पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि अगर रूस और चीन करीब आ रहे हैं, तो ये कोई मुद्दा नहीं है। ये भारत का काम नहीं है। रूस को लेकर हमारी नीति बिलकुल स्पष्ट और उद्देश्यपूर्ण है।